किसानों की हड़ताल का 75वां दिन, नेशनल हाईवे- 9 बंद; कई जगह लगा भीषण जाम
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने 26 जनवरी को हुए ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुए उपद्रव से अपना पल्ला झाड़ लिया था और अब अपनी छवि सुधारने के लिए इस घटनाक्रम की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है।
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई राज्यों के किसानों का धरना प्रदर्शन सोमवार को 75वें दिन में प्रवेश कर गया। दिल्ली से सटे सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में जुटे किसान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच किसानों के आंदोलन के चलते नेशनल हाईवे-9 बंद होने से कई जगहों पर जाम लग गया है। वहीं, दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर जमा किसानों के अगुवा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एलान किया है कि मांगें पूरी नहीं होते यह आंदोलन 2 अक्टूबर तक चलेगा। पिछले दिन वह कह चुके हैं कि कानून वापसी तक वह घर नहीं जाएंगे।
किसानों ने छवि सुधारने के लिए गठित की समिति
वहीं,सोनीपत में कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने 26 जनवरी को हुए ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुए उपद्रव से अपना पल्ला झाड़ लिया था और अब अपनी छवि सुधारने के लिए इस घटनाक्रम की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है। कमेटी इसकी जांच कर रही है कि मोर्चा में शामिल संगठन के लोग कैसे निर्धारित रूट से भटक गए। जांच के दौरान फिलहाल मोर्चा ने दो संगठनों के नेताओं को दिल्ली जाने के लिए निलंबित भी किया है। हालांकि यह कार्रवाई मोर्चा ने अपनी छवि सुधारने के लिए की थी, लेकिन अब इस पर ही सवाल उठने लगे हैं कि जब दो संगठन दिल्ली के अंदर गए थे तो मोर्चा इससे कैसे खुद को अलग कर सकती है।दरअसल, शनिवार देर रात को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डा. दर्शनपाल ने जानकारी दी कि ट्रैक्टर परेड के दौरान रूट बदलने वाले दो संगठनों के नेताओं को निलंबित कर दिया है और एक कमेटी उनकी जांच कर रही है। यह निर्णय शनिवार शाम को ही पंजाब के 32 में से 14 किसान संगठनों के नेताओं ने बैठक में लिया था।
बैठक के बाद किसान नेताओं ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी सुरजीत फूल गुट के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल व आजाद किसान किसान कमेटी के हरपाल ¨सह सांगा को तत्काल मोर्चा से निलंबित कर दिया है। इनके खिलाफ कमेटी यह जांच कर रही है कि ये जानबूझ कर दिल्ली के अंदर गए थे या रास्ता भटक गए थे।हालांकि मोर्चा के इस निर्णय से एक बार फिर दिल्ली हिंसा के बाद किसान नेताओं के बयान पर सवाल उठने लगे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अब तक हिंसा के लिए सरकार और पुलिस प्रशासन को दोषी ठहरा रहे थे और मोर्चा द्वारा निर्धारित रूट पर ही ट्रैक्टर परेड निकालने की बात कह रहे थे। यदि मोर्चा के सदस्य संगठन निर्धारित रूट पर ही थे तो ये दो संगठन रास्ता कैसे भटक गए, इस पर सवाल उठना लाजिमी है।