जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए परेशानी का सबब बना MCD का पोर्टल
दक्षिणी निगम की स्थायी समिति में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दें को उठाते हुए पोर्टल में बदलाव करने की मांग की है। साथ ही नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) की तर्ज पर पोर्टल बनाने की मांग की है।
जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दिल्ली के तीनों नगर निगमों में बना नया पोर्टल परेशानी का सबब बन गया है। इससे न केवल लोगों को जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में दिक्कत आ रही है बल्कि करीब 25 हजार जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहे हैं। इसको लेकर अब निगम पार्षदों ने इस पोर्टल में सुधार की मांग की है। सोमवार को दक्षिणी निगम की स्थायी समिति में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दें को उठाते हुए पोर्टल में बदलाव करने की मांग की है। साथ ही नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) की तर्ज पर पोर्टल बनाने की मांग की है। इसमें 10-10 हजार आवेदन उत्तरी और दक्षिणी निगम इलाके के लंबित हैं तो वहीं पांच हजार आवेदन पूर्वी दिल्ली से लंबित हैं। बीते दो माह से लोग इसको लेकर परेशान हो रहे हैं।
ओटीपी से हो रही है समस्या
दक्षिणी निगम में नेता सदन नरेंद्र चावला ने बताया कि पोर्टल से इतनी परेशानी बढ़ गई है। जनता निगम पार्षदों के दफ्तरों पर जाकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण तो ऑनलाइन हो जाता है, लेकिन जब परिजन इन प्रमाण पत्र को डाउनलोड करते हैं तो ओटीपी आने में दिक्कत होती है। क्योंकि जब मृत्यु या जन्म होता है तो लोग कोई भी मोबाइल नंबर अस्पताल में लिखवा देते हैं। निगम के रिकार्ड में वहीं नंबर दर्ज हो जाता है। जब लोग जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र डाउनलोड करते हैं तो उन्हें वह पंजीकृत मोबाइल नंबर याद नहीं होता तो उससे प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है। इतना ही घर हुई मौत पर भी परिवारिक विवादों के चलते दूसरे सदस्यों को मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि घर के लोग ही एक दूसरे को मोबाइल पर आने वाला ओटीपी नहीं बता रहे हैं।
ऑनलाइन आवेदन करने की दी है सुविधा
पोर्टल में तीनों निगम ने नागरिकों को ऑनलाइन जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन करने की सुविधा दी गई है। हालांकि यह प्रक्रिया काफी कठिन हैं। क्योंकि इससे उन लोगों को दिक्कत होगी जो लोग इंटरनेट और कंप्यूटर की तकनीक से परिचित नहीं हैं उनको दिक्कत होगी। साथ ही आवेदन करने के लिए बिचौलियों की संख्या बढ़ेगी।