बिहार में भाजपा ने सहयोगी दलों को दी नसीहत, बिना नाम लिये एक-एक को दिया जवाब
Bihar Politics बिहार में भाजपा के नेता रविवार को बिना नाम लिये अपने सहयोगी दलों के नेताओं पर हमलावर रहे। संजय जायसवाल और राजीव रंजन सिंह के बयानों को उपेंद्र कुशवाहा जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी के हालिया बयानों का जवाब माना जा रहा है।
बिहार में भाजपा के नेता रविवार को बिना नाम लिये अपने सहयोगी दलों के नेताओं पर हमलावर रहे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन सिंह के बयानों को जदयू के उपेंद्र कुशवाहा, हम के जीतन राम मांझी और वीआइपी के मुकेश सहनी के हालिया बयानों का जवाब माना जा रहा है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने रविवार को जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का नाम लिए बिना बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि वोट के लिए धर्म छोडऩे की मंशा रखने वाले बेहतर आफर मिलने पर कुछ भी कर सकते हैं। इससे पहले जीतन राम मांझी ने भी कहा था कि दूसरे धर्म को अपनाने वाले बेहतर मिलने पर ही ऐसा कर रहे हैं।
राजनीतिक भूख के लिए समाज में विभेद फैलाना सही नहीं
राजीव रंजन ने कहा कि ये मौका परस्त लोग हैं। ये लोग न धर्म के होते हैं, न जात के, न किसी समाज के....। जाति-धर्म व्यक्तिगत और सामाजिक मसले हैं। इसके राजनीतिक प्रयोग से हर जिम्मेदार राजनीतिक दल को बचना चाहिए। धार्मिक राजनीति का खामियाजा देश ने पाकिस्तान देकर चुकाया है। हजारों जानें जातिगत राजनीति की भेंट चढ़ी हैं। भाजपा उपाध्यक्ष ने सवाल किया कि राजनीतिक भूख के लिए समाज में विभेद फैलाना कहां तक उचित है।
बांटो और राज करो की मंशा रखने वाले देश के दुश्मन : जायसवाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने रविवार को इशारों ही इशारों में वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी के रवैये पर तंज कसा है। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश का चुनाव अगले वर्ष के शुरू में होना है। अभी से ही वहां बांटो और राज करो की कोशिश बहुत सारे दलों द्वारा की जा रही है। देश के इतिहास में बांटो और राज करो की बहुत बड़ी भूमिका रही है। अंग्रेज महज 20 हजार थे और उन्होंने 150 वर्षों तक 30 करोड़ भारतीयों पर राज किया। भारतीय ही भारतीयों के दुश्मन बन गए थे।
मोहम्मद अली जिन्ना का दिया उदाहरण
मोहम्मद अली जिन्ना ने इसका सफल प्रयोग एक अलग देश बनाने में किया। 2014 में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे भारतवर्ष के राजनीतिक परिवेश को बदल दिया। भाजपा सर्व समाज और सर्वहित की पार्टी है इसलिए किसी की निजी महत्वाकांक्षाएं हमारे दल में पूरी हो ही नहीं सकती। समाज के सभी वर्गों को यह जरूर सोचना चाहिए कि केवल जाति के नाम पर वे जिस नेता के पास जा रहे हैं। कहीं वह एक राज्यसभा या एक विधानसभा अथवा विधान परिषद की सीट के लिए बाद में पूरे कुनबे को बेच तो नहीं देगा।