मुसीबत में PM नरेंद्र मोदी के बिहार वाले हनुमान, चिराग को लेकर चुप बैठी BJP ...जानिए इनसाइड स्टोरी
एनडीए का घटक दल एलजेपी दो-फाड़ हो चुका है। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहते रहे चिराग पासवान अपनी ही पार्टी में मुसीबत में हैं लेकिन गठबंधन में बड़ा भाई बीजेपी मौन है। आखिर क्या है इसका कारण जानिए इनसाइड स्टोरी।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) सुप्रीमो (रहे) चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बीते बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में रहते हुए सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का हनुमान (Hanuman) बताते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशियों को वोट देने की भी अपील की थी। इस कारण जेडीयू बिहार विधानसभा में तीसरी बड़ी पार्टी बनकर रह गई। एनडीए में भी उसकी पहले वाली हैसियत नहीं रही। उसी वक्त से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की आंखों की किरकिरी बने चिराग पासवान के 'बंगले' पर अब जेडीयू का 'तीर' बिलकुल निशाने पर बैठा है। चिराग को अपनी ही पार्टी ने बेदखल कर दिया है। खास बात यह है कि एलजेपी के इस 'आंतरिक मामले' पर जेडीयू चिराग के खिलाफ बयान दे रहा है तो बीजेपी ने चुप्पी साध ली है। सवाल उठता है कि बीजेपी चुप क्यों है?
चिराग व बागियों के बीच पार्टी पर कब्जे की जंग
लोकसभा में एलजेपी के चिराग पासवान सहित छह सांसद थे। इनमें से पांच ने चिराग से बगावत करते हुए खुद को असली एलजेपी घोषित कर दिया है तो चिराग ने भी उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया है। बागी गुट के नेता चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) एलजेपी संसदीय दल के नए नेता बन गए हैं। साथ ही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठक में चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटाते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूरजभान सिंह (Suraj Bhan Singh) को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है। उन्हें अगले अध्यक्ष के चुनाव की जिम्मेवारी भी दी गई है। इसके बाद चिराग पासवान ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर पांचों बागी सांसदों (पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, प्रिंस राज और चंदन सिंह) को पार्टी से निकाल दिया है। स्पष्ट है, चिराग व बागियों के बीच पार्टी पर कब्जे की जंग तेज हो रही है।
एलजेपी की टूट पर गरमाई बिहार की राजनीति
एलजेपी की इस टूट पर राजनीति भी गरमा गई है। चिराग पासवान को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से भाई वीरेंद्र ने अपने पाले में आने का ऑफर भी दे दिया है। उधर, एलजेपी के बागियों ने खुलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की है। साथ ही विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान चिराग पासवान द्वारा नीतीश कुमार के विरोध की भी आलोचना की है। बागी सांसद दिल्ली व पटना में जेडीयू के वरीय नेताओं के संपर्क में भी हैं। बगावत के तुरंत बाद उन्होंने जेडीयू सांसद ललन सिंह (Lalan Singh) से मुलाकात भी की थी। हालांकि, जेडीयू ने एलजेपी में तोड़फोड़ से इनकार किया है। उधर, एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयाेगी व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने तो खुलकर चिराग पासवान की आलोचना की है।
एनडीए के घटक दल में घमासान, बीजेपी चुप
खास बात यह है कि एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी बीजपी केंद्र सरकार में अपने सहयोगी एलजेपी में मची इस जंग पर चुप है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने इसे एलजेपी का आंतरिक मामला करार दिया है। उन्होंने यह कहकर बीजेपी का रूख स्पष्ट कर दिया है कि एलजेपी अलग पार्टी है और उसके आंतरिक मामले पर बीजेपी कोई टिप्पणी नहीं करेगी।
चिराग से सहानुभूति बीजेपी को पड़ेगी भारी
सवाल यह है कि चिराग पासवान को लेकर बीजेपी चुप क्यों है? माना जा रहा है कि बीजेपी चिराग का समर्थन कर बिहार की अपनी स्थिर सरकार को खतरे में डालना नहीं चाहती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिराग पासवान से नाराजगी हद पार कर चुकी है। उधर, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) में हार के बाद से बीजेपी बैकफुट तो जेडीयू फ्रंटफुट पर है। इस बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं। बीजेपी समझती है कि सियासी उलटफेर के माहिर खिलाड़ी लालू बिहार की एनडीए सरकार गिराने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इस बीच लालू के बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की जीतन राम मांझी से मुलाकात चर्चा में है। लालू से मांझी व विकासशील इनसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) की फोन पर बात भी हुई है। सत्ता पक्ष के एक धड़े से लालू का संवाद जारी है। ऐसे में बीजेपी की चिराग से सहानुभूति बिहार में एनडीए सरकार पर भारी पड़ने की आशंका है।
बीजेपी के सामने छवि बचाने की भी मजबूरी
आम धारणा है कि चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मदद करते हुए जेडीयू का नुकसान किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी के बावजूद बीजेपी ने केंद्र सरकार में एलजेपी को एनडीए का घटक बनाए रखा। लेकिन अब चिराग अपनी ही पार्टी में बदखल हो गए हैं तो उनका सहयोग बीजेपी किस आधार पर करे, यह सवाल खड़ा हो गया है। बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एनडीए में बड़ा भाई (Big Brother) बनाने में मददगार रहे पीएम मोदी के इस हनुमान पर हमलावर होना भी बीजेपी की छवि को खराब ही करेगा। ऐसे में बीजेपी ने मौन का रास्ता अख्तियार किया है। भले ही विपक्ष यह तंज कसे कि कलियुग में राम ने ही हनुमान को धोखा दे दिया है।
...अब आगे-आगे देखिए होता है क्या-क्या?
बहरहाल, अब आगे-आगे देखिए क्या-क्या होता है। चिराग व बा्गियों की इस जंग में जीत का रास्ता पीएम मोदी के कैबिनेट तक भी जाता है। इस जंग में जीतने वाले को राम विलास पासवान के निधन के बाद से खाली पड़ी केंद्रीय कैबिनेट की सीट पर मंत्री बनाया जा सकता है।