रिहाना के बाद ग्रेटा थनबर्ग ने किया किसान आंदोलन का समर्थन, कहा- हम एकजुटता में खड़े हैं

केंद्र सरकार कृषि कानूनों को बड़े सुधारों के रूप में पेश कर रही है जो किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति देता है। सरकार और किसान यूनियनों के बीच कई दौर की वार्ता से अब तक गतिरोध दूर नहीं हो पाया है।

रिहाना के बाद ग्रेटा थनबर्ग ने किया किसान आंदोलन का समर्थन, कहा- हम एकजुटता में खड़े हैं

अमेरिकी सिंगर रिहाना के बाद अब स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी किसान आंदोलन के समर्थन में आ गई हैं। राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ दो महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों को अपना समर्थन देते हुए ग्रेटा ने कहा कि वह किसानों के साथ एकजुटता के साथ खड़ी हैं। किसान आंदोलन को लेकर रिहाना के ट्वीट के कुछ घंटों के भीतर ही ग्रेटा थनबर्ग ने भी समर्थन में ट्वीट किया। मंगलवार को ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट कर लिखा, 'हम भारत में चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता में खड़े हैं।

बता दें कि इससे पहले अमेरिकी सिंगर रिहाना भी किसान आंदोलन का समर्थन कर चुकी हैं। रिहाना ने प्रदर्शनस्थल पर इंटरनेट सेवाओं को बंद किए जाने वाली एक खबर को शेयर करते हुए कहा, 'हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?' रिहाने ने अपने ट्वीट के साथ #FarmersProtest भी जोड़ा है। रिहाना के ट्विटर पर दस करोड़ फॉलोवर हैं और उनके इस ट्वीट को एक घंटे में हजारों लोगों ने रीट्वीट किया।

रिहाना और थनबर्ग के अलावा ब्रिटेन की संसद सदस्य क्लाउडिया वेबबे ने भी भारतीय किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त की है। रिहाना के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, 'भारतीय किसानों के प्रति एकजुटता। धन्यवाद रिहाना। एक ऐसे दौर में जहां राजनीतिक नेतृत्व की कमी है, हम दूसरों को आगे कदम बढ़ने के लिए आभारी हैं।'

वहीं, लेखक और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीणा ने भी आंदोलनरत किसानों के साथ सोशल मीडिया पर अपना समर्थन दिखाया है। मीणा ने ट्विटर पर लिखा कि हम सभी को भारत के इंटरनेट बंद और किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा से नाराज होना चाहिए।

यूएस हाउस के प्रतिनिधि जिम कोस्टा ने भी माहौल को परेशान करने वाला बताया और कहा कि स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है। कोस्टा ने लिखा, 'भारत में सामने आने वाली घटनाएं परेशान कर रही हैं। विदेश मामलों की समिति के एक सदस्य के रूप में, मैं स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा हूं। शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें मुख्य तौर पर पंजाब और हरियाणा के किसान शामिल हैं, जो तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस बीच हरियाणा सरकार ने 3 फरवरी को शाम 5 बजे तक कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को बढ़ा दिया है।