TikTok: अमेरिका-ब्रिटेन से न्यूजीलैंड तक टिकटॉक को बैन करने की तैयारी, कितना बड़ा खतरा है ये चीनी एप?

TikTok: अमेरिका-ब्रिटेन से न्यूजीलैंड तक टिकटॉक को बैन करने की तैयारी, कितना बड़ा खतरा है ये चीनी एप?

चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक एक बार फिर विवादों में है। भारत, कनाडा और डेनमार्क के बाद अब ब्रिटेन ने शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर बैन लगा दिया है। इसके अलावा एप को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के बीच न्यूजीलैंड की संसद प्लेटफॉर्म को सभी सरकारी उपकरणों से प्रतिबंधित करने की तैयारी में है। वहीं, अमेरिकी प्रशासन ने भी देश में टिकटॉक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। 



टिकटॉक क्या है? ब्रिटेन में इस पर क्या हुआ है? न्यूजीलैंड में टिकटॉक क्यों बंद होने जा रहा है? अमेरिका ने एप को बैन करने की चेतावनी क्यों दी? टिकटॉक पर किन देशों ने बैन लगाया है? दुनियाभर में इसे क्यों बैन किया जा रहा है? आइये जानते हैं...

चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी बाइटडांस
चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी बाइटडांस - फोटो : SOCIAL MEDIA
टिकटॉक क्या है? 
टिकटॉक शार्ट वीडियो एप के रूप में दुनियाभर में जाना जाता है। यह यूजर्स को शार्ट वीडियो ऑनलाइन देखने, बनाने और शेयर करने की अनुमति देता है। एप को चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी बाइटडांस ने 2016 में लॉन्च किया था। इसका कार्यालय बीजिंग में हैं। जानकारी के मुताबिक, इसकी उपलब्धता 150 से अधिक देशों में हैं।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक - फोटो : फेसबुक/ऋषि सुनक
ब्रिटेन में क्यों लगी रोक?
ब्रिटेन ने शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर बैन लगा दिया है। यह बैन सरकारी उपकरणों पर लगाया गया है। ब्रिटेन की संसद में गुरुवार को इसकी घोषणा की गई। रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन ने चीन के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया वीडियो एप को सुरक्षा के लिए खतरा बताया है और सरकारी डिवाइस में इसे प्रतिबंधित किया गया है।

न्यूजीलैंड संसद
न्यूजीलैंड संसद - फोटो : SOCIAL MEDIA
न्यूजीलैंड की संसद में टिकटॉक क्यों बंद होने जा रहा है?
न्यूजीलैंड के सांसदों को शुक्रवार को सूचित किया गया कि टिकटॉक को इस महीने के अंत में सभी संसदीय उपकरणों से ब्लॉक कर दिया जाएगा। संसदीय सेवा ने उन्हें बताया कि वर्तमान न्यूजीलैंड संसद के माहौल में जोखिम मंजूर नहीं हैं।

न्यूजीलैंड में यह रोक सांसदों के व्यक्तिगत फोन पर नहीं होगी। हालांकि, संसद के किसी भी एप को एक्सेस करने से पहले फोन में एप अनइंस्टॉल होना चाहिए। बता दें, न्यूजीलैंड के कई सांसद राजनीतिक वीडियो और अपने बयान पोस्ट करने के लिए टिकटॉक का इस्तेमाल करते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन। - फोटो : सोशल मीडिया
अमेरिका ने टिकटॉक को बैन करने की चेतावनी क्यों दी? 
अमेरिकी खूफिया एजेंसी FBI और फेडरल कम्युनीकेशन कमीशन पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि बाइटडांस टिकटॉक यूजर्स का डेटा चीन सरकार को साझा कर सकता है। इसमें उपयोगकर्ता की ब्राउजिंग हिस्ट्री, लोकेशन और बायोमेट्रिक आइडेंटिफिकेशन जैसी संवेदनशील जानकारियां शामिल हो सकती हैं।  
अमेरिका टिकटॉक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का विचार कर रहा है। व्हाइट हाउस ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि यह कानून का समर्थन करेगा जो प्रशासन को टिकटॉक और अन्य विदेशी तकनीकों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की अनुमति देगा यदि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।

वाल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाइडेन प्रशासन कह रहा है कि टिकटॉक के चीनी मालिक वीडियो एप में अपने शेयर बेच दें या प्लेटफॉर्म के प्रतिबंध का सामना करें। टिकटॉक के अधिकारियों की मानें तो बाइटडांस के 60% शेयरों का स्वामित्व वैश्विक निवेशकों के पास है, 20% कर्मचारियों के पास और 20% इसके संस्थापकों के पास है। 

अमेरिका में विदेशी निवेश पर समिति (Cfius) ने हाल ही में शेयर बिक्री की मांग की है। बता दें, Cfius एक संघीय टास्क फोर्स है जो सीमा पार निवेश में राष्ट्रीय-सुरक्षा जोखिमों की देखरेख करती है। टिकटॉक के डेटा को सुरक्षित करने के तरीके पर Cfius के साथ बातचीत दो साल से अधिक समय से चल रही है जिसको लेकर दोनों में गतिरोध बढ़ा है। पेंटागन और न्याय विभाग के प्रतिनिधि भी शेयर बिक्री का समर्थन कर रहे हैं।

Tiktok
Tiktok - फोटो : Social Media
अपने ऊपर लगे आरोपों पर टिकटॉक का क्या कहना है?
अमेरिकी चेतावनी के बाद टिकटॉक ने बुधवार को कहा कि जबरन बिक्री से कथित सुरक्षा जोखिम का समाधान नहीं होगा। हालांकि, इसने चीनी सरकार की पहुंच या प्रभाव से अमेरिकी उपयोगकर्ता डेटा और सामग्री की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का वादा किया है।

इसी बीच, सुरक्षा मुद्दों पर सांसदों के सवालों का जबाव देने के लिए टिकटॉक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शौ जी च्यू अगले सप्ताह हाउस एनर्जी एंड कॉमर्स कमेटी के सामने पेश होने वाले हैं। 2020 में, ट्रम्प प्रशासन ने इसी तरह की राष्ट्रीय-सुरक्षा चिंताओं के आधार पर टिकटॉक की बिक्री की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

Mobile user
Mobile user - फोटो : Social media
कितना बड़ा खतरा बन सकता है ये चीनी एप? 
विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी सरकार द्वारा गोपनीय जानकारियों के बेजा इस्तेमाल की गंभीर आशंका है। ये एक चिंताजनक स्थिति है। इनके मुताबिक, आज के दौर में कई तकनीकी कंपनियां डेटा-हार्वेस्टिंग (विभिन्न स्रोतों, जैसे वेबसाइटों, एप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जानकारी एकत्र करना) में लिप्त हैं। ये कंपनियां उपयोगकर्ताओं की जानकारी का भी दुरुपयोग भी करती हैं।

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय सूचना सुरक्षा संस्थान के विशेषज्ञों के मुताबिक जो टिकटॉक यूजर ऐसा सोचते हैं कि वे ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे हैं जो किसी विदेशी सरकार के हित में हो, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। आपके देश के बारे में अहम जानकारी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों या सैन्य केंद्रों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह खाद्य प्रसंस्करण, वित्त उद्योग और विश्वविद्यालयों जैसे अन्य क्षेत्रों तक भी फैला हुआ है।

Tiktok Ban
Tiktok Ban - फोटो : सोशल मीडिया
दुनिया में टिकटॉक पर कहां-कहां बैन है? 
टिकटॉक को लगातार कई देशों में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए बैन किया जा रहा है। भारत ने इस पर जून 2020 में ही बैन लगा दिया था। इसके बाद दुनिया के कई देश इस एप पर बैन लगा चुके हैं। हाल ही में डेनमार्क के रक्षा मंत्रालय ने भी सरकारी कर्मचारियों के फोन में टिकटॉक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है। 

वहीं, बेल्जियम ने भी टिकटॉक को सुरक्षा के लिए खतरा बताकर सरकारी उपकरणों में इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी। कनाडा और यूरोपीय आयोग ने पहले ही इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। जनवरी 2023 तक, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, बांग्लादेश, ईरान, पाकिस्तान, सहित कई एशियाई देशों में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

दुनियाभर में क्यों बैन किया जा रहा है टिकटॉक?
पश्चिम देशों के नेताओं ने चिंता व्यक्त की है कि टिकटॉक और इसकी मूल कंपनी बाइटडांस संवेदनशील यूजर डेटा, जैसे स्थान की जानकारी, चीनी सरकार को उपलब्ध करा सकती है। वे इस बात से भी चिंतित हैं कि चीन गलत सूचना के लिए टिकटॉक की सामग्री का उपयोग कर सकता है। हालांकि, टिकटॉक ने लंबे समय से इस तरह के आरोपों का खंडन किया है।