कोरोनावायरस की तीसरी लहर से बचना है तो निकालें केवल चार घंटे, AIIMS पटना ऑनलाइन बताएगा तरीका
Bihar CoronaVirus News एम्स पटना के शिशु विभाग एवं इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक ने संयुक्त रूप से एक ऑनलाइन कोर्स डिजाइन किया है जिसमें तीसरी लहर के पहले दरम्यान और बाद में खुद और दूसरों को सुरक्षित रखने की जानकारी दी गई है। आइए जानें।
कोरोनावायरस संक्रमण की तीसरी लहर का प्रभाव कम करने के लिए पटना का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS Patna) शनिवार को ई-संजीवनी कोर्स लांच करेगा। एम्स के शिशु विभाग एवं इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक ने संयुक्त रूप से यह ऑनलाइन कोर्स डिजाइन किया है। इसमें तीसरी लहर के पहले, दरम्यान और बाद में खुद और दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। इसके साथ ही सांस रुकने की स्थिति में पहले छह मिनट में क्या-क्या किया जा सकता है, इसे भी शामिल किया गया है। यह कोर्स मेडिकल छात्र, स्वास्थ्य कर्मी, फ्रंट लाइन वर्कर सहित आमजन भी फ्री में कर सकते हैं। संभावित तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है। कोर्स में सांस व हृदय की समस्याओं को ज्यादा विस्तार दिया गया है।
सर्टिफिकेट के लिए चाहिए 80 फीसद से अधिक अंक
पटना एम्स की वेबसाइट (www.aiimspatna.org) पर कोर्स में शामिल होने के लिए लिंक शनिवार से उपलब्ध करा दिया जाएगा। चार घंटे के इस कोर्स में इच्छुक व्यक्ति आनलाइन परीक्षा में शामिल होंगे। रिजल्ट का प्रकाशन किया जाएगा और उत्तीर्ण होने का सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
आमजन भी फ्री में कर सकते हैं यह ऑनलाइन कोर्स
कोर्स विशेषज्ञ डा. लोकेश कुमार तिवारी ने बताया कि चार घंटे का यह कोर्स एमबीबीएस फाउंडेशन कोर्स, एमबीबीएस प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष, इंटर्न, एमडी छात्र, पोस्ट एमडी, नर्सिंग छात्र, स्टाफ नर्स, फैकेल्टी, नन हेल्थ केयर प्रोवाइडर एवं अन्य सभी इच्छुक लोगों के लिए डिजायन किया गया है। 80 फीसद से अधिक अंक लाने पर प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इससे कम अंक आने पर परीक्षा में दोबारा शामिल हो सकते हैं।
कोर्स बच्चे के साथ-साथ व्यस्क के लिए भी लाभकारी
एम्स शिशु विभागाध्यक्ष व कोर्स समन्वयक डा. लोकेश कुमार तिवारी ने बताया कि कोर्स बच्चे के साथ-साथ व्यस्क के लिए भी लाभकारी है। यदि सांस रुक जाती है तो इसकी पहचान कैसे की जा सकती है। हृदय गति को तुरंत कैसे शुरू किया जाए। इसका वीडियो दिया गया है।
चार घंटे की पढ़ाई के बाद परीक्षा में हो सकते हैं शामिल
घर, कार्यालय, खेल के मैदान में ऐसी स्थिति में कैसे उनका बचाव करना है, कोर्स में इसकी पूरी जानकारी दी गई है। यदि मरीज की सांस व हृदय दोबारा शुरू करने के उपाय नहीं किए जाते तो चार से छह मिनट के अंदर ब्रेन डेड की संभावना बढ़ जाती है। प्रशिक्षण में बताए गए तरीकों का उपयोग किया जाए तो मरीजों के बचने की संभावना 80 फीसद तक बढ़ जाती है।