जानें- पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के किस फैसले पर बाइडन ने अब चलाई कैंची, समीक्षा होने तक रहेगी सस्पेंड
बाइडन ने जब से अमेरिका की सत्ता संभाली है तब से वो पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कई फैसलों को पलट चुके हैं। वहीं अब उन्होंने ट्रंप के कार्यकाल में हुई अरबों डॉलर की आर्म्स डील को सस्पेंड कर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमिरात से हुई हथियारों की डील को फिलहाल लंबित कर दिया है। इस रोक को लगाने के साथ उन्होंने कहा कि वो पहले इस समझौते की समीक्षा करेंगे उसके बाद इस पर कोई अंतिम फैसला लेंगे। आपको बता दें कि बाइडन ने जब से सत्ता संभाली है तब से ही वो ट्रंप के किए फैसलों को बदलने में लगे हुए हैं। जहां तक आर्म्स डील की बात है तो ट्रंप ने ये डील अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में की थी।
इस डील के तहत अमेरिका को संयुक्त अरब अमिरात को एफ-35 फाइटर जेट और हमला करने वाले ड्रोन बेचने थे। ये सौदा करीब 23 अरब डॉलर का था। इसके अलावा सऊदी अरब को काफी समय से रुकी गोला-बारूद की आपूर्ति करनी थी। ये सौदा 29 करोड़ डॉलर का था जो 29 दिसंबर को किया गया था। इसके तहत मिसाइल बिक्री का समझौता भी शामिल था। बाइडन के इस फैसले से इस बात की संभावना बढ़ गई है कि वो इन देशों के लिए बनाई गई ट्रंप की नीतियों में बदलाव कर सकते हैं। गौरतलब है कि ट्रंप कार्यकाल में खाड़ी देशों में तनाव काफी बढ़ गया है।
बाइडेन ने साफ कर दिया है कि वो इस अरबों डॉलर के समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित कर रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने बाइडन के इस फैसले को एक सामान्य प्रशासनिक कदम बताया है। मंत्रालय के मुताबिक हर नया राष्ट्रपति इस तरह की डील की समीक्षा करता है। इस रोक से प्रशासन को ये तय करने में मदद मिलेगी कि इस समझौते से अमेरिका के रणनीतिक लक्ष्य पूरे होंगे या नहीं। आपको बता दें कि बाइडेन ने चुनाव अभियान के दौरान ये बात कही थी कि वो सऊदी अरब को हथियारों की आपूर्ति में कटौती करेंगे।
चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने यमन में ईरान समर्थित विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी नेतृत्व वाले युद्ध को रोकने की मंशा जताई थी। उन्होंने ये भी कहा था कि ये उनकी प्राथमिकता होगी। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप खाड़ी देशों को अमेरिकी हथियार बेचने को लेकर काफी उदारवादी नीति अपनाए हुए थे।
हालांकि सीनेट के कुछ सदस्य ट्रंप द्वारा की गई हथियारों की इस डील से नाखुश थे। इसकी वजह उन सांसदों से ट्रंप प्रशासन की नाराजगी भी साफतौर पर जाहिर हुई थी। इसके बाद ही ट्रंप ने इस समझौते को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया था। इस घोषणा के बाद समझौते को बिना संसद की समीक्षा प्रक्रिया के लागू किया जा सकता है। इस दौरा ट्रंप का विरोध कर रहे सांसदों का कहना था कि वो अमेरिकी संविधान में मौजूद कानून की कमी का फायदा उठा रहे हैं।
ट्रंप का पुरजोर विरोध करने वालों में डेमोक्रेट सीनेटर क्रिस मर्फी सबसे आगे थे। उनका कहना था कि ट्रंप जानते हैं कि सीनेट में ये समझौता पास नहीं होगा इसलिए उन्होंने इसको राष्ट्रीय आपातकाल के तहत खुद ही पारित कर लिया है। इस समझौते को वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर इंटरनैशनल पॉलिसी के विशेषज्ञों ने भी गलत बताया था। इनका कहना था कि इससे इस क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा।