नेपाल में होने वाले संसदीय चुनाव का बहिष्कार कर सकता है प्रचंड गुट
Nepal Election 2021 पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि चुनावों में भाग लेने के बारे में अभी फैसला होना बाकी है लेकिन उनका गुट केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली अलोकतांत्रिक और नाजायज सरकार के तहत होने वाले चुनावों का बहिष्कार कर सकता है।
प्रचंड के नेतृत्व वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) ने मंगलवार को कहा कि वह अप्रैल और मई में होने वाले चुनावों का बहिष्कार कर सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक चुनावों को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से नेपाल में लोकतंत्र और संविधान की स्थापना के पक्ष में खड़े होने का आह्वान किया।
मीडिया से बात करते हुए पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने कहा कि चुनावों में भाग लेने के बारे में अभी फैसला होना बाकी है, लेकिन उनका गुट केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली अलोकतांत्रिक और नाजायज सरकार के तहत होने वाले चुनावों का बहिष्कार कर सकता है। ओली ने संसद के निचले सदन को पिछले वर्ष 20 दिसंबर को भंग करते हुए 30 अप्रैल और 10 मई को चुनाव कराने का एलान कर दिया था। ओली के निचले सदन को भंग करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर सुनवाई चल रही है। एक बार फैसला आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि चुनाव होंगे या भंग संसद ही एक बार फिर से बहाल होगी। प्रचंड ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट ओली के फैसले को मान्यता नहीं देगा। प्रचंड गुट ने ओली को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाते हुए उन्हें पार्टी की सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया था। प्रचंड के नेतृत्व वाला गुट अब एक अलग पार्टी के तौर पर काम कर रहा है और उसने चुनाव आयोग में दावा किया है कि असली एनसीपी वही है। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक किसी भी गुट को मान्यता नहीं दी है।
संसद भंग करने के पीछे विदेशी षड्यंत्र नहीं
प्रचंड ने ओली द्वारा संसद भंग करने के फैसले के पीछे किसी विदेशी षड्यंत्र की संभावना से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि सभी प्रमुख शक्तियां अपने रसूख का विस्तार करने की कोशिश कर रही है, लेकिन आंतरिक शक्ति संतुलन महत्वपूर्ण है। हम ना तो किसी के खिलाफ हैं और ना ही किसी के पक्ष में हैं। हम पड़ोसियों से अच्छे संबंध चाहते हैं।
ओली पड़ोसी देशों को घसीटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें इसमें रुचि नहीं है। जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने ओली द्वारा उठाए गए कदमों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद क्यों नहीं मांगी तो उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से नेपाल में लोकतंत्र के पक्ष में खड़े होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि नेपाल में लोकतंत्र की हत्या हुई है और विदेशी राजदूतों के साथ हुई बैठक में हमने उन्हें इससे अवगत कराया है। अगर जरूरत पड़ी तो हम काठमांडू स्थित अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बारे में जानकारी देंगे।