दुबई में बन रहे हिंदू मंदिर के लिए अभी श्रद्धालुओं को करना होगा इंतजार, 2022 के दिवाली में खुलेगा पट
वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी जब अबू धाबी गए थे उस समय मंदिर को जमीन देने का वादा किया गया था। इस मंदिर के निर्माण की वजह से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा व द्विक्षीय रिश्ते मजबूत होंगे।
कोरोना महामारी के कारण दुबई में बन रहा हिंदू मंदिर अगले साल दिवाली तक श्रद्धालुओं के पूजा-पाठ के लिए खोल दिया जाएगा। इस मंदिर की नींव वर्ष 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी। बात दें कि यूएई में करीब करीब 30 लाख भारतीय रहते हैं। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी जब अबू धाबी गए थे, उस समय मंदिर को जमीन देने का वादा किया गया था। इस मंदिर के निर्माण की वजह से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा व द्विक्षीय रिश्ते मजबूत होंगे।
इस मंदिर का निर्माण शहर के जेबेल अली इलाके गुरु नानक सिंह दरबार के निकट हो रहा है। सिंधी गुरु दरबार मंदिर यूएई का सबसे पुराना हिंदू मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1950 के दशक में हुआ था। रविवार को गल्फ न्यूज से संपर्क करने पर मंदिर के ट्रस्टियों में से एक राजू श्रॉफ ने कहाने बताया कि यह मंदिर यूएई के शासकों की उदारता और खुले दिमाग की गवाही देता है।
खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस मंदिर में 11 देवताओं को स्थापित किया जाएगा। यह मंदिर भारत के सभी हिस्सों से संबंधित हिंदू समुदायों की धार्मिक मान्यताओं को पूरा करेगा। इसका निर्माण भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के तहत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर की वास्तुकला को एक अलग रूप दिया गया है। गल्फ न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर की वास्तविक संरचना 25000 वर्ग फुट भूमि में होगा। भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के अनुसार इस मंदिर के निर्माण में इस्पात या इससे बनी सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंदिर के नींव को मजबूती देने के लिए फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया जाएगा। फ्लाई ऐस का इस्तेमाल नींव में कंक्रीट को मजबूत करने के लिए किया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात में दुबई के ओपेरा हाउस से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम संस्था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला रखी थी। यूएई में भारतीय मूल के 30 लाख से अधिक लोग रहते हैं। मंदिर निर्माण के लिए भारत में 3,000 कारीगर दिन रात काम में लगे हुए हैं, जो 5000 टन इटालियन मार्बल से नक्काशीदार चिह्न और मूर्तियां बना रहे हैं। वहीं, मंदिर का बाहरी हिस्सा 12,250 टन गुलाबी बलुआ पत्थर से बनी होगा।