पीएम नरेंद्र मोदी के बिहार पैकेज से 18 योजनाओं का काम पूरा, सुशील मोदी के सवाल पर गडकरी ने दी जानकारी

बिहार के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित भारी-भरकम आर्थिक पैकेज के छह साल गुजरने के बाद भी कई परियोजनाओं का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इस पैकेज में शामिल सड़क और पुल-पुलियों की अब तक केवल 18 योजनाएं ही पूरी हो सकी हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी के बिहार पैकेज से 18 योजनाओं का काम पूरा, सुशील मोदी के सवाल पर गडकरी ने दी जानकारी

बिहार के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित भारी-भरकम आर्थिक पैकेज के छह साल गुजरने के बाद भी कई परियोजनाओं का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इस पैकेज में शामिल सड़क और पुल-पुलियों की अब तक केवल 18 योजनाएं ही पूरी हो सकी हैं। यह जानकारी खुद केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सदन में सोमवार को दी। वे बिहार से राज्‍यसभा सदस्‍य और पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी के सवाल का जवाब दे रहे थे। गडकरी के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा अगस्त 2015 में घोषित बिहार पैकेज में से 54,700 करोड़ रुपये की लागत से सड़क व पुल-पुलिया की 90 परियोजनाओं पर काम हो रहा हैं।

अब तक करीब 17 हजार करोड़ रुपए किए गए खर्च

केंद्रीय मंत्री ने सदन को बताया कि इनमें से 18 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 40 परियोजनाएं प्रगति पर हैं। जिनमें से कई के काम 60 से 94 फीसद तक हो चुके हैं। 31 मार्च, 2021 तक पीएम पैकेज के तहत बिहार की सड़क परियोजनाओं पर 16,890 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। गडकरी सोमवार को राज्यसभा में सदस्य सुशील कुमार मोदी के एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

पांच परियोजनाओं में जल्‍द काम शुरू होने की उम्‍मीद

मंत्री ने सदन को बताया कि पांच परियोजनाएं अवार्ड कर दी गई है, मगर अभी काम प्रारंभ नहीं हुआ है। तीन परियोजनाएं निविदा चरण तथा शेष 24 परियोजनाएं डीपीआर चरण में हैं। भागलपुर बाइपास, बिहारशरीफ-बरबीघा-मोकामा, छपरा-रेवाघट-मुजफ्फरपुर सहित 18 सड़क परियोजनाएं जहां पूरी हो चुकी हैं वहीं फतुहा-बाढ़, सीतामढ़ी-जयनगर, जयनगर-नरहिया और पटना में महात्मा गांधी सेतु का निर्माण व पुनस्र्थापन सहित 40 परियोजनाओं के कार्य प्रगति पर हैं।

हाइवे के लिए आ रही जमीन अधिग्रहण की समस्‍या

बिहार में नेशनल हाइवे की कई परियोजनाएं जमीन अधिग्रहण की समस्‍या में फंसी हुई हैं। इसका जिक्र पिछले दिनों पटना हाई कोर्ट ने भी किया था। परियोजना के लिए चिह्न‍ित जमीन समय से नहीं मिल पाने के के कारण एजेंसियां काम में हाथ लगाने से परहेज करती हैं।