प्रचंड ने कहा, भारत के इशारे पर ओली ने भंग की संसद

पहले ओली ने कहा था- भारत के कहने पर उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रहे प्रचंड। प्रचंड ने कहा ओली ने अपने आवास में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत गोयल से तीन घंटे तक बात की।

प्रचंड ने कहा, भारत के इशारे पर ओली ने भंग की संसद

भारत को लेकर नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड ने पलटवार किया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन प्रचंड ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर भारत के इशारे पर संसद भंग करने का आरोप लगाया है।

काठमांडू में नेपाल एकेडमी हॉल में अपने धड़े के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा, कुछ दिनों पहले ओली ने अपनी ही कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया था कि वे भारत के कहने पर उनकी सरकार गिराने की साजिश रच रहे हैं। जबकि वास्तव में उन्होंने (प्रचंड ने) या उनके साथी नेताओं ने कभी भी ओली पर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव नहीं डाला। क्योंकि इससे ओली का बयान सही साबित हो सकता था। लेकिन बाद में ओली ने पार्टी को तोड़ा और संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी, तो क्या उन्होंने यह कदम भारत के इशारे पर उठाया?

प्रचंड ने कहा, ओली ने अपने आवास में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत गोयल से तीन घंटे तक बात की। उस दौरान उन दोनों के अलावा अन्य कोई नहीं था। इससे ओली के उद्देश्य का साफ पता चलता है। असलियत जनता के सामने आ चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने आरोप लगाया कि ओली बाहरी ताकतों से गलत सलाह ले रहे हैं। ओली ने संसद को भंग कर उस लोकतांत्रिक व्यवस्था को चोट पहुंचाई है जो देश को 70 साल के संघर्ष के बाद प्राप्त हुई है।

नेपाल 20 दिसंबर से राजनीतिक अनिश्चितता का शिकार है। उस दिन चीन समर्थक नीति पर चलने वाले ओली ने 275 सदस्यों वाली संसद को भंग करने की सिफारिश की थी। प्रधानमंत्री की इस सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उसी दिन संसद भंग कर दी थी और 30 अप्रैल और 10 मई को चुनाव कराने की घोषणा कर दी। लेकिन इसके बाद प्रचंड के नेतृत्व वाले धड़े के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। बाद में ओली ने कहा, उन्होंने प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट द्वारा संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और राष्ट्रपति भंडारी के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने की साजिश का पता लगने के बाद संसद को भंग करने की सिफारिश की। भारत ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि यह नेपाल का आंतरिक मामला है। देश अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम है।