12वीं के छात्र रॉबिन साहनी का कमाल, पहले फल-सब्जी से पैदा की बिजली, अब सीमेंट और जिंक से बनाई बैटरी
बचपन से वैज्ञानिक बनने का सपना था, पर घर की माली स्थिति के कारण ऐसा नहीं हो सका। इस कसक को 20 साल के रॉबिन सहानी ने नये प्रयोग में पूरा किया। पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर के पोटका के रहने वाले जलिंद्र सहानी के बेटे ने एक से बढ़कर एक नये आविष्कार किये हैं और वो भी किफायती।
इन दिनों रॉबिन सीमेंट और जिंक से खुद की बनाई बैटरी से चर्चा में है। पोड़ाहाट ने एसडीओ अभिजीत सिन्हा ने उसके इस प्रयास की जमकर सराहना करते हुए हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया। इससे पहले भी रॉबिन फल व सब्जियों के साथ-साथ डिटर्जेंट पाउडर से भी बिजली निकालकर बल्ब जलाकर दिखा चुका है।
इसके अलावा रॉबिन खीरे के छिलके व रद्दी कागज से शुद्ध पेपर तैयार कर चुका है। रॉबिन बताता है कि सीमेंट, जिंक तार, कार्बन रॉड इत्यादि के प्रयोग से उसने दस वोल्ट की बैटरी बनाई है। इससे आसानी से एलईडी बल्ब जलाया जा सकता है। उसने बल्ब जलाकर भी दिखाया।
दरभंगा में इंटर का छात्र है रॉबिन
मूल रूप से बिहार के दरभंगा के रहने वाले रॉबिन के पिता चक्रधरपुर में पैदल घूम-घूमकर बच्चों की हवा मिठाई बेचा करते हैं। रॉबिन दरभंगा के मारवाड़ी कॉलेज में बारहवीं आर्ट्स का छात्र हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से वह आर्ट्स लेकर पढ़ाई कर रहा है।
रॉबिन बताता है कि जब वह कक्षा छह में था उसी समय से उसे वैज्ञानिक बनने की इच्छा जगी। वह अपने प्रयोग के मॉडल को विज्ञान प्रदर्शनी में दिखाया करता था। रॉबिन अपने पिता की मदद के लिए पिछले डेढ़ साल से चक्रधरपुर में अपने पिता के पास है और घर में ही रहकर वह पढ़ाई के साथ-साथ तरह-तरह के प्रयोग करता है।