2nd Wave of Corona: कोरोना काल में लोग क्यों ज्यादा निकाल रहे हैं नकदी?
कोरोना की दूसरी लहर (Second wave of corona) खतरनाक ही होती जा रही है। भारत में इस कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण (Infection) से जान गंवाने वालों की संख्या दो लाख से ज्यादा हो गई है। अब तो स्थिति यह हो गई है कि एक दिन में ही रेकार्ड 3,000 से भी ज्यादा लोगों की जान जा रही है। ऐसे में लोगों में एक नई बात दिख रही है।
कोरोना काल (Corona Period) में लोगों का भरोसा नकदी या कैश पर बढ़ने लगा है। तभी तो बीते नौ अप्रैल को समाप्त पखवाड़े में जनता के पास कैश बढ़ कर 27.87 लाख करोड़ रुपये के बराबर हो गया है। एक पखवाड़े में ही यह 30,186 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी है। यह खुलासा रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के आंकड़ों से हुआ है।
क्यों बढ़ रही है नकदी की मांग
बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों (Banking Experts) का कहना है कि जब गाढ़ा वक्त आता है तो लोग नकदी को ज्यादा प्रीफर करते हैं। स्टेट बैंक (SBI) के एक मैनेजर का कहना है कि पहले एक आम वेतनभोगी महीने में यदि 30 से 40 हजार रुपये निकालता था तो इस समय लाख-दो लाख रुपये तो आराम से निकाल रहा है। जब उनसे कारण पूछा तो जाता है कि ग्राहक कहते हैं उनका पैसा है, चाहे बैंक में रखें या घर में।
कालाबाजारी में नकदी की चलती है!
वसुंधरा के गाजियाबाद में रहने वाले एक रिटायर्ड व्यक्ति का कहना है कि वह भी इस समय घर में पहले से ज्यादा नकदी रख रहे हैं। किस लिए, यह पूछे जाने पर वह बताते हैं कि इस समय आक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) से लेकर जरूरी दवाएं, सब कालाबाजारी में ही मिल रही है। कालाबाजारी करने वालों को तो कैश ही चाहिए। वह चेक लेकर या क्रेडिट कार्ड लेकर तो सामान देंगे नहीं। भगवान न करे, ऐसा कुछ नहीं हो। लेकिन इंतजाम तो कर के ही रखना पड़ता है।
पिछले साल भी जनता के पास बढ़ा था कैश
भारत में पिछले साल भी कोरोना का प्रकोप हुआ था। उस समय जब केंद्र सरकार ने मार्च में कड़े लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की थी। तब भी जनता के पास कैश की मात्रा बढ़ गई थी। उस साल 28 फरवरी को जनता के पास कुल 22.55 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी, जो 19 जून 2020 को समाप्त पखवाड़े में 25.62 लाख करोड़ रुपये हो गई थी। यानी मार्च से 19 जून तक लोगों के पास 3.07 लाख करोड़ रुपये का नकद बढ़ा था।
कोरोना का कहर घटा था तो नकदी की मांग घट गई थी
पिछले साल का आंकड़ा देखें तो जुलाई के बाद कोरोना की रफ्तार धीमी हुई थी। उसी के साथ अर्थव्यवस्था को भी चरणबद्ध तरीके से खोला जाने लगा था। उसके बाद नकदी की मांग (Demand of Cash) घट गई थी। उस समय तक ई कामर्स भी घर गृहस्थी से जुड़े सभी सामानों की आपूर्ति करने लगे थे। उसके बाद अर्थव्यवस्था में डिजिटल पेमेंट और पेमेंट के अन्य तरीकों का खूब उपयोग होने लगा था।
नोटबंदी के बाद लोगों के पास बढ़ी नकदी
8 नवंबर 2016 का दिन तो याद होगा ही। यह वही दिन है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। जब केंद्र सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी, उस समय आम जनता के पास कुल नकदी में 9.9 लाख करोड़ रुपये या 55 फीसदी का उछाल देखा गया था। तब लोगों के पास 17.97 लाख करोड़ रुपये का कैश था। अब यह 27.87 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
इकोनॉमी में मनी सप्लाई बढ़ी
इस बीच अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई (M3) पिछले कुछ महीनों में बढ़ी है। एम3, जिसमें पब्लिक, करंट डिपॉजिट, सेविंग डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट शामिल हैं, 9 अप्रैल 2021 तक 189.07 लाख करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गए। इसमें 11.3 प्रतिशत या 19.17 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। बैंकरों के अनुसार, जनता के पास नकदी में वृद्धि लेनदेन के लिए नकदी के अधिक उपयोग का संकेत देती है, जिससे एटीएम से अधिक निकासी हो सकती है। एक और अनुमान के अनुसार कई लोग स्वास्थ्य आपातकाल की तैयारी के लिए नकदी निकाल रहे हैं।