नेपाल में देउबा के पीएम बनने से लौटेगी रिश्तों में 'मिठास', बिहार व उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाके में जगी उम्मीद
बिहार से लगे सीमावर्ती इलाके में कई बार भारतीय मजदूरों के साथ नेपाल पुलिस द्वारा मारपीट की गई वहीं भारत की ओर से सीमा खोलने के बावजूद नेपाल ने दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। देउबा के कमान संभालने के बाद इंडो-नेपाल बार्डर खुलने की उम्मीद जगी है।
नेपाल में सत्ता परिवर्तन और नए प्रधानमंत्री के रूप में शेर बहादुर देउबा के कमान संभालने के बाद सीमा के दोनों तरफ लोगों में सकारात्मक संदेश गया है। संबंधों में प्रगाढ़ता की उम्मीद जगी है। भारत-नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध है। भारतीय बेटियों की शादी नेपाल में हुई है तो नेपाली बेटियां भी भारत में ब्याही हैं। बात चाहे बिहार से लगती सीमा की हो या फिर उत्तराखंड के भारत-नेपाल बार्डर की, केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री रहते तनाव का माहौल बन गया था।
बिहार से लगे सीमावर्ती इलाके में कई बार भारतीय मजदूरों के साथ नेपाल पुलिस द्वारा मारपीट की गई, वहीं भारत की ओर से सीमा खोलने के बावजूद नेपाल ने दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। देउबा के कमान संभालने के बाद इंडो-नेपाल बार्डर खुलने की उम्मीद जगी है। कोरोना महामारी के दौरान बंद हुई भारत-नेपाल सीमा पर पिछले 19 महीने से स्थिति सामान्य नहीं है।
व्यापार पर पड़ा असर, सुधार की आस
रक्सौल के इंडो-नेपाल चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता कहते हैं कि बार्डर सील किए जाने का असर दोनों देशों के व्यापार पर पड़ा है। उम्मीद है सुधारात्मक दिशा में काम होगा। मधुबनी के सीमावर्ती इलाकों में लोगों को लग रहा है कि एक बार फिर दोनों देशों के संबंधों में नजदीकी आएगी। सीमावर्ती जयनगर अनुमंडल मुख्यालय के कपड़ा व्यवसायी अरुण जैन का कहना है कि देउबा के प्रधानमंत्री बनने से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा। वहीं, जयनगर चैंबर आफ कामर्स के महासचिव अनिल बैरोलिया को आवागमन पर लगी बंदिश हटने की उम्मीद है। मिथिलांचल चैंबर आफ कामर्स के महासचिव शंभु गुप्ता जयनगर वाया जनकपुर-कुर्था तक रेल परिचालन को लेकर आशान्वित हैं। इधर, पश्चिम चंपारण में त्रिवेणी सीमा पर किराना व्यवसाय करनेवाले चंदन कुमार बताते हैं कि देउबा अलग नजरिया रखते हैं। सबसे पहले बार्डर के हालात सुधारने की अपेक्षा है।
नेपाल में मिली-जुली प्रतिक्रिया
सीतामढ़ी में सटे नेपाल के इलाके में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। लोगों का कहना है कि देउबा इससे पहले भी प्रधानमंत्री रहे हैं। रौतहट, महोतरी, पर्सा, बारा, सरलाही में लोगों के चेहरे पर संतोष है। हलखोरी के राजू पांडेय कहते हैं कि कड़वाहट दूर करने के लिए सीमा पर तनाव खत्म करना ही होगा। नेपाल-भारत मैत्री संघ के जिलाध्यक्ष रौतहट निवासी गिरीश नंदन कुमार सिंह ने कहा कि नई सरकार में दोनों देशों का आपसी संबंध बरकरार रहेगा तथा प्रगाढ़ता आएगी।
पहाड़ पर भी पिघलेगी रिश्तों पर जमी बर्फ
दूसरी तरफ, पिथौरागढ़ से जागरण संवाददाता के अनुसार, भारत-नेपाल रिश्तों में सुधार को लेकर सीमावर्ती लोग उत्साहित हैं। केपी शर्मा ओली ने जिस तरह से भारतीय भू-भाग को अपना बताते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत विरोध का राग अलापा था, उससे रिश्तों में खटास बढ़ गई थी। इसका असर स्थानीय स्तर पर भी दिख रहा था। कोरोना लाकडाउन से तो आवाजाही ठप ही हो गई। अब पारंपरिक मित्रता को बल मिलने की उम्मीद है।
सांस्कृतिक और धार्मिक समानता
व्यापार संघ के महासचिव गजेंद्र पतियाल कहते हैं कि नेपाल के रुख से भारत से रिश्ते खराब हुए थे। इसका असर स्थानीय स्तर पर भी दिखा। जौलजीबी के समाजसेवी भूपेंद्र चंद ने कहा कि भारत और नेपाल सांस्कृतिक, धार्मिक दृष्टि से समान हैं। लोगों के दिल एक दूसरे से जुड़े हैं। पुराने दिन वापस जरूर लौटेंगे। वहीं, युवा व्यापारी राजेंद्र पांगती का कहना है कि अब संबंधों की डोर मजबूत होगी। सीमा पर सामान्य आवाजाही होगी।