और तीव्र हो सकती हैं समुद्री हीट वेव, हर साल कम हो रही है समुद्र के ऊपर मौजूद परत की मोटाई

जलवायु परिवर्तन की विभीषिका बयां करने वाले एक अध्ययन में दावा किया गया है कि महासागरों पर मौजूद एक परत की मोटाई हर साल कम होती जा रही है। इसे समुद्र का कवच माना जाता है जो गर्म हवाओं को नियंत्रित करने में मदद करती है।

और तीव्र हो सकती हैं समुद्री हीट वेव, हर साल कम हो रही है समुद्र के ऊपर मौजूद परत की मोटाई

जलवायु परिवर्तन की विभीषिका बयां करने वाले एक अध्ययन में दावा किया गया है कि महासागरों पर मौजूद एक परत की मोटाई हर साल कम होती जा रही है, जिससे मरीन हीट वेव यानी समुद्री गर्म हवाओं की गति पहले से कहीं ज्यादा तीव्र और विनाशकारी हो सकती है। 20 से 200 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद इस मिश्रित परत (मिक्स्ड लेयर) को समुद्र का कवच माना जाता है, जो खास तौर पर गर्म हवाओं को नियंत्रित करने में मदद करती है। 

अमेरिका की कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि यह परत इसी प्रकार क्षीण होती रही तो भविष्य में समुद्री जीवों के साथ-साथ आसपास रहने वाले लोगों का गर्मी से जीना दूभर हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि मिश्रित परत जितनी मोटी होगी, उतनी ही मात्रा में समुद्र से पानी को गर्म हवा में मिलने से रोकेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो यह पानी को हवा में मिलने से रोकने के लिए एक प्रतिरोधक का काम करती है।

जर्नल बुलेटिन ऑफ द अमेरिकन मेटेरोलॉजिकल सोसायटी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, विज्ञानियों ने अध्ययन में पाया कि महासागरों का यह कवच पतला हो रहा है, जिससे समुद्र का तापमान अतिसंवेदनशील हो सकता है और गर्मी चरम पर पहुंच सकती है। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डिलन अमाया ने कहा, 'जब मिश्रित परत पतली होती है तो समुद्र को गर्म करने के लिए कम गर्मी की जरूरत होती है। ऐसे में भविष्य में समुद्री गर्म हवाएं चलने के मामलों में तेजी आ जाएगी।'

तीन मीटर तक पतली हो गई है परत

इस अध्ययन में अमाया और उनकी शोध टीम ने पिछली सदी के आठवें दशक तक मिश्रित परत की मोटाई का अनुमान लगाने के लिए समुद्र के अवलोकन और मॉडलों के संयोजन का उपयोग किया और भविष्य में इसके प्रभावों का आंकलन किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पिछले 40 वर्षो में उत्तरी प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों में यह परत लगभग तीन मीटर तक पतली हो गई है। शोधकर्ताओं ने आशंका जताई है कि वर्ष 2100 तक यह परत चार मीटर तक पतली हो जाएगी, जो आज के तुलना में 30 फीसद होगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, गर्म वैश्विक तापमान के साथ यह पतली मिश्रित परत समुद्र के तापमान में बड़ा बदलाव कर सकती है, जिससे लगातार अत्यधिक गर्मी की घटनाएं हो सकती हैं।

सतह के ताप का नहीं लग पाएगा अनुमान

अमाया ने कहा, पतली मिश्रित परत उबलते पानी के बर्तन सरीखी है, जिसमें पानी को गर्म होने में तो थोड़ा समय लगता है लेकिन उबलने के बाद यह तेजी से वाष्प बन कर उड़ने लगता है। उन्होंने चेताते हुए कि कि यदि जलवायु इसी प्रकार गर्म और मिश्रित परत पतली होती रही तो विज्ञानी महासागरों के सतह के तापमान का अनुमान लगाने में भी असमर्थ हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में फिशिंग (मछली पकड़ना) और अन्य तटीय गतिविधयों पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे कई गरीब और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।