केंद्र को समलैंगिक विवाह संबंधी याचिकाओं पर जवाब देने के लिए HC ने दिया अंतिम मौका

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा था कि याची किसी भी प्रथागत या धार्मिक कानूनों के तहत राहत नहीं मांग रहे हैं बल्कि सभी प्रकार के युगल पर लागू होने वाले एसएमए कानून को उनके मामले में भी लागू किए जाने की मांग की है।

केंद्र को समलैंगिक विवाह संबंधी याचिकाओं पर जवाब देने के लिए HC ने दिया अंतिम मौका

 विशेष विवाह अधिनियम (Special marriage act) के तहत समलैंगिक विवाह करने की इजाजत की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ व न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है इससे पहले केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें इस पर कुछ निर्देश मिले हैं और जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय दिया जाए। इस पर केंद्र सरकर के जवाब पर पीठ ने याचिका पर सुनवाई 26 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा था कि याची किसी भी प्रथागत या धार्मिक कानूनों के तहत राहत नहीं मांग रहे हैं, बल्कि सभी प्रकार के युगल पर लागू होने वाले एसएमए कानून को उनके मामले में भी लागू किए जाने या फिर इसे रद करने की मांग की है।

याचिकाकर्ता युवतियां ने विशेष विवाह अधिनियम को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की। उनकी दलील है कि यह कानून समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देता है। वहीं, इससे पहले दो पुरुषों ने भी याचिका दायर कर कहा था कि उन्होंने 2017 में शादी की थी, लेकिन न्यूयार्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने समलैंगिक होने के आधार पर उनके विवाह पंजीकरण के आवेदन को अस्वीकार कर दिया था।

याचिका में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के बावजूद समलैंगिक लोगों के बीच विवाह संभव नहीं हो पा रहा है। याचिका में हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए एक अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया गया है।