कोरोना: टीकाकरण करवाने जा रहे हैं तो हमेशा रखें इन बातों का ध्यान, कहीं आपके साथ भी न हो धोखा

आप चाहे कहीं भी टीका लगवाएं लेकिन टीकाकरण के कुछ मूलभूत नियम हैं उनका ध्यान रखें अगर वह नियम टीकाकरण केंद्र पर फॉलो नहीं हो रहे हैं तो आपके साथ धोखाधड़ी होने की संभावना बढ़ जाती है...

कोरोना: टीकाकरण करवाने जा रहे हैं तो हमेशा रखें इन बातों का ध्यान, कहीं आपके साथ भी न हो धोखा

विस्तार
भारत में एक मई से केंद्र सरकार ने निजी अस्पतालों व संस्थाओं को भी कोरोना वैक्सीन का टीका लगाने के अधिकार दे दिए हैं। इसके बाद से तमाम संस्थाएं अपने कर्मियों के लिए या कोई भी निजी एंटिटी लोगों को टीका लगवा रही हैं। कई बार देखने में आ रहा है कि टीका लगवाते वक्त लोगों के साथ धोखाधड़ी भी हो रही है। ऐसे में एक जागरूक नागरिक होने के नाते आपका हमारा यह कर्तव्य है कि हम जब टीका लगवाने जाएं तो उसके हर पहलू का ध्यान रखें। ऐसे ही दो बड़े मामले यूपी और महाराष्ट्र के मुंबई से सामने आए हैं, ऐसे में नीचे दिए बिंदुओं के जरिए जानिए कि आपको टीकाकरण के वक्त किन बातों का ध्यान रखना है साथ ही पढ़ें वो दो घटनाएं चो चर्चा का विषय बनी हुई हैं....


खासतौर से ध्यान रखें ये बातें-
टीका लगवाते वक्त यह जरूर ध्यान रखें कि यह किसी अधिकृत जगह पर लगाया जा रहा हो।
टीका लगाने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन भले न जरूरी हो लेकिन जहां टीकाकरण हो वहीं आपका पंजीकरण हो जाए।
आपको यह बताया जाए कि आपको कौन सा टीका लग रहा है।
टीके की पहली डोज लगने के बाद एक स्लिप जनरेट होती है जिसमें आपको दूसरे डोज की तारीख मिलेगी और साथ ही आपको टीकाकरण का सर्टिफिकेट भी मिलेगा। वो चाहे ऑफलाइन हो या ऑनलाइन।
वहां आपको फोटो खींचने से भी न रोका जाए। यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि मुंबई में सामने आए एक फर्जी केंद्र में लोगों को फोटो खींचने से मना किया गया था।

पहला केस-उत्तर प्रदेश
जब कोविड के टीके की वायल जिले के एक सेंटर से दूसरे सेंटर तक नहीं जा सकती, तो अलीगढ़ के लिए अलॉट हुई वैक्सीन की पूरी खेप नोएडा कैसे पहुंच गई। वह भी तब जब स्वास्थ्य विभाग के सरकारी दस्तावेजों में रोजाना इन टीकों की ऑडिट होती हो। बावजूद इसके नोएडा की जेपी ग्रींस सोसाइटी में अलीगढ़ जिले को आवंटित टीकों की एक बड़ी खेप लगा भी दी गई। इस पूरे मामले पर नोएडा और अलीगढ़ स्वास्थ्य विभाग कोई भी सटीक जवाब नहीं दे पा रहा है। ऐसे में तो सवाल उठने लाजमी हैं। सवाल ये कि क्या वास्तव में यह कोई एक बड़ा रैकेट है जो अधिकारियों की मिलीभगत से टीकों का हेर फेर कर रहा है। सवाल यह भी है कि जो टीके स्वास्थ्य विभाग के निगरानी में लगाए जाने चाहिए वह एक व्यक्ति के घर पर कैसे लगाए जा रहे हैं। लोगों ने सवाल उठाए हैं की क्या हकीकत में इन टीकों में जीवन रक्षक दवा ही है या कुछ और। आगे पढ़ें पूरी खबर..

दूसरा केस-  मुंबई
मुंबई की हीरानंदानी सोसायटी में 390 लोगों को कथित रूप से नकली टीका लगाने के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। धोखाधड़ी की इस घटना में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, एक अन्य शख्स को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आरोपियों ने जो टीके लगाए, वे असली थे या नहीं।