गलत जानकारी देकर कराई गई थी नवादा के लोमस ऋषि पहाड़ की बंदोबस्ती, आरटीआइ से सामने आया मामला
नवादा के लोमस ऋषि पहाड़ की बंदोबस्ती मामले में यह बात सामने आई है कि गलत सूचना देकर तत्कालीन सीओ ने बंदोबस्ती करवा दी थी। जबकि यह लोगों की आस्था से जुड़ी जगह है। आरटीआइ से यह बात सामने आई है।
प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर समसपुर गांव के बगल में स्थित लोमस ऋषि पहाड़ की बंदोबस्ती कर दी गई। कई जानकारी छिपाकर ऐसा किया गया। सूचना के अधिकार कानून (RTI) से यह बात सामने आई। इसकी शिकायत के बाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने उस जगह का पुनसर्वेक्षण करने और खनन पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। हालांकि अभी तक आदेश पर अमल नहीं हुआ है।
गलत सूचना देकर कराई गई थी बंदोबस्ती
इस धरोहर को बचाने की लड़ाई लड़ रहे छपरा गांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व मुखिया विनय सिंह ने आरटीआइ से रजौली के अंचल अधिकारी से पूछा कि लोमस ऋषि पहाड़ ऋषि मुनियों की तपोस्थली है। उसके बाद भी इस की बंदोबस्ती कैसे हुई। इसके बाद जो जवाब आया उसे जानकर हर कोई हैरान है। पूर्व मुखिया ने बताया कि वर्ष 2015 में लोमस ऋषि पहाड़ की बंदोबस्ती सरकार करा रही थी। अंचल अधिकारी से विभागीय स्तर से रिपोर्ट मांगी गई थी। पूछा गया था कि पहाड़ पर कोई मंदिर तो नहीं है। पहाड़ के आसपास कोई गांव तो नहीं है। वहां से कोई पेन तो नहीं निकलता है। वहां कोई शैक्षणिक संस्था तो नहीं है, वहां कोई घनी आबादी तो नहीं है। इन सभी बिंदुओं पर तत्कालीन अंचल अधिकारी (Circle Officer) से रिपोर्ट मांगी गई थी। तत्कालीन अंचल अधिकारी ने सारी बातें छिपाते हुए रिपोर्ट भेज दी। तब पहाड़ की बंदोबस्ती कर दी गई।
लोमस ऋषि पहाड़ पर है ऋषि मुनियों की तपोस्थली
लोमस ऋषि पहाड़ के सबसे ऊपरी चोटी पर लोमस ऋषि का उपवास स्थल है। इस पहाड़ के इर्द-गिर्द बसे दर्जनों गांव के लोग की आस्था इस से जुड़ी है। सभी लोग यहां पर अपनी मन्नतें मांगते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद अपने बच्चों का यहां पर मुंडन करवाते हैं। इस पहाड़ पर एक मंदिर भी है।
पहाड़ के बगल में है घनी आबादी और शैक्षणिक संस्थान
लोमस ऋषि पहाड़ से 500 मीटर दूर सरकारी विद्यालय है। उस से 100 मीटर आगे घनी आबादी का गांव समसपुर है। जब इस पहाड़ पर पत्थर तोड़ने के लिए कंपनी की ओर से ब्लास्टिंग की जाती है तो गांव के लोगों को भूकंप जैसा झटका महसूस होता है। लोग दहशत में रहते है।
इस पौराणिक धरोहर को बचाने को लेकर मुख्यमंत्री से भी लगाई गई गुहार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल जीवन हरियाली के दौरे पर रजौली आए थे उस समय पूर्व मुखिया ने मुख्यमंत्री को आवेदन देकर खनन रोकने की मांग की थी। उस आवेदन को मुख्यमंत्री कार्यालय से 26 दिसंबर 2019 को प्रधान सचिव खनन एवं भूतल एवं कला संस्कृति विभाग को भेजा गया। वहां से इस मामले को जांच के लिए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नवादा को भेजा गया। तब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई। पूर्व मुखिया न पक्ष मजबूती से रखा दोनों पक्ष की बात सुनते हुए और स्थल निरीक्षण के बाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अपने आदेश में कहा है कि पहाड़ पर मंदिर है। दूसरी पहाड़ी पर यथा परिचालित लोमस ऋषि का गुफा है, जहां पूजा पाठ के कई साक्ष्य है। उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि स्पष्ट है कि खनन एवं पुरातत्व एवं पर्यटन विभाग को साक्ष्य के आलोक में पुरातात्विक धरोहर के सर्वेक्षण की आवश्यकता है ताकि लोमस ऋषि आश्रम एवं यावल ऋषि आश्रम एवं आसपास में पुरातात्विक स्थलों को संरक्षित किया जा सके। खनन कार्य पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने इस संबंध में अपेक्षित कार्रवाई हेतु इस आदेश की कॉपी सचिव खनन एवं भूतल विभाग, बिहार, पटना, सचिव पर्यटक विभाग एवं जिला अधिकारी नवादा को भेजी है।