जगदानंद और तेज प्रताप के बीच धर्मसंकट में लालू यादव, पार्टी और परिवार दोनों को बचाने की चुनौती
Bihar Politics जगदानंद का तेजस्वी के साथ बेहतर तालमेल है। पिछली बार जब तेज प्रताप की सार्वजनिक बयानबाजी से जगदा आहत हुए तो तेजस्वी ने उनसे बंद कमरे में मुलाकात कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह शुरू से अपने अक्खड़ मिजाज की वजह से जाने जाते हैं। वे बेहद कम और नपा-तुला बोलते हैं। अनुशासन के पाबंद हैं। शायद यही वजह है कि लालू यादव ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी, लेकिन तेज प्रताप यादव के साथ असहज रिश्तों की वजह से उनके लिए यह कुर्सी कई बार चुभन दे देती है। राजद के 25वें स्थापना दिवस समारोह में ऐसा ही हुआ। इसके पहले भी तेज प्रताप ने कई बार जगदानंद की सार्वजनिक रूप से फजीहत करा दी है। ऐसी हालत में उनके इस्तीफे की चर्चाएं सामने आईं, हालांकि राजद ने इससे इंकार किया। सवाल यह है कि अगर ऐसी स्थिति बन रही है या बनती है तो लालू अपने बेटे तेज प्रताप और जगदा में किसे चुनेंगे।
स्थापना दिवस समारोह में तेज प्रताप ने दिखाए तेवर
राजद के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में तेज प्रताप यादव ने एक मसले पर दल के नेताओं को हाथ उठाने को कहा। उनकी इस अपील पर मंच पर बैठे कई नेताओं ने हाथ नहीं उठाया, लेकिन तेज ने खास तौर पर जगदा पर निशाना साधते हुए कहा- लगता है अंकल अभी भी नाराज हैं...। उनके इस बयान के बाद बगल में बैठे श्याम रजक ने जगदा का हाथ जबर्दस्ती उठवा दिया।
बिना नाम लिये तेज प्रताप ने खूब सुनाई खरीखोटी
तेज प्रताप ने बिना किसी का नाम लिये मंच से ही प्रदेश नेतृत्व को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते हैं। उन्होंने खुद की उपेक्षा किए जाने और पीछे धकेलने का आरोप लगाया। दरअसल तेज प्रताप को मलाल रहता है कि उन्हें उनके पिता की पार्टी में छोटे भाई तेजस्वी की तरह सम्मान नहीं मिलता। यह बात वह पहले साफ तौर पर भी जाहिर कर चुके हैं।
पोस्टकार्ड अभियान के मसले पर भी घेरा था
कुछ महीने पहले तेज प्रताप ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव की जेल से रिहाई के लिए पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया था। इस दौरान भी उन्होंने एक दिन प्रदेश कार्यालय में जमकर जगदानंद पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि जगदा उनके अभियान में रुचि नहीं ले रहे। और तो और उनके प्रदेश दफ्तर में आने पर अपने चैंबर से बाहर तक नहीं निकले। तब भी उन्होंने ढेरों बातें कही थीं।
तेजस्वी के साथ बेहतर है तालमेल
जगदानंद का तेजस्वी के साथ बेहतर तालमेल है। पिछली बार जब तेज प्रताप की सार्वजनिक बयानबाजी से जगदा आहत हुए तो तेजस्वी ने उनसे बंद कमरे में मुलाकात कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। तेज प्रताप भले साफ तौर पर कभी न कहें, लेकिन उन्होंने बार-बार यह जताने की कोशिश की है कि उनके छोटे भाई के सामने उनको कम आंका जा रहा है। वे कई बार खुद को लालू का असली वारिस होने का दावा भी कर चुके हैं और खुद में लालू से जुड़ी कई समानताएं गिनाते रहते हैं।