झारखंड के रामगढ़ में भी है बापू का समाधि स्थल, मृत्यु के बाद यहां आई थी गांधी जी की अस्थियां
आज यह समाधि स्थल गांधी घाट के नाम से प्रसिद्ध है। रामगढ़ थाना व पुलिस लाइन से महज कुछ कदम की दूरी पर ही बापू की समाधि स्थल है। यहां के श्मशान घाट को गांधी घाट के नाम से जाना जाता है।
झारखंड के रामगढ़ की ऐतिहासिक धरती से होकर गुजरने वाली दामोदर नदी के तट स्थित गांधी घाट हमेशा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद ताजा कराती है। यहां स्थित बापू के समाधि स्थल पर हर साल दो अक्टूबर व 30 जनवरी को मुक्तिधाम संस्था द्वारा श्रद्धांजलि सभा व भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। शहर के लोग, जन प्रतिनिधिगण सहित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी यहां आते हैं और बापू को याद करते हैं।
30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनकी अस्थियां देश भर के कई राज्यों में पहुंची थीं। रामगढ़ से जुड़ाव होने के कारण 1948 में बापू की अस्थियों का अवशेष रामगढ़ भी पहुंचा था। अस्थियां के अवशेषों को रखकर दामोदर तट पर समाधि स्थल बनाया गया था। आज यह समाधि स्थल गांधी घाट के नाम से प्रसिद्ध है। रामगढ़ थाना व पुलिस लाइन से महज कुछ कदम की दूरी पर ही बापू का समाधि स्थल है। यहां के श्मशान घाट को गांधी घाट के नाम से जाना जाता है।
शहर के समाजसेवियों द्वारा इस मुक्तिधाम संस्था को चलाया जाता है। बापू की याद में मुक्तिधाम संस्था की व्यवस्था बेहतर है। गांधी घाट पर पहुंचने वाले लोग बापू के समाधि स्थल पर जाकर नमन जरूर करते हैं। गांधी घाट में शव जलाने के लिए सातों दिन 24 घंटे की सुविधा बहाल है। बापू के समाधि स्थल व गांधी घाट के सुंदरीकरण के लिए संस्था के कोषाध्यक्ष व प्रभारी कमल बगडिय़ा, राजेश कुमार अग्रवाल, राजकुमार अग्रवाल व भास्कर अग्रवाल सहित कई सदस्यों द्वारा लगातार पहल की जाती है।
रामगढ़ कांग्रेस में भाग लेने आए थे बापू
महात्मा गांधी 1940 में कांग्रेस के सम्मेलन में भाग लेने रामगढ़ आए थे। तीन दिवसीय सम्मेलन में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शामिल हुए थे। सुभाष चंद्र बोस ने यहां अलग सम्मेलन किया था। उनकी याद में भी यहां एक चौक है।