दरभंगा पार्सल ब्लास्ट: हवाला कारोबारियों के जरिए से भेजे गए थे पैसे, सलीम को दिया गया था रिक्रूटमेंट का जिम्मा

दरभंगा पार्सल ब्लास्ट मामले में हैदराबाद में पकड़े गए दो सगे भाइयों मो. इमरान मल्लिक और मो. नासिर मल्लिक से पूछताछ में एनआईए को कई सुराग मिले हैं। सूत्रों के अनुसार पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि मो. नासिर ने पाकिस्तान में केमिकल बम बनाने की ट्रेनिंग ली थी।

दरभंगा पार्सल ब्लास्ट: हवाला कारोबारियों के जरिए से भेजे गए थे पैसे, सलीम को दिया गया था रिक्रूटमेंट का जिम्मा

बताया जाता है कि मो. नासिर मल्लिक वर्ष 2012 में पाकिस्तान गया था। वहां पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने उसे केमिकल बम तैयार करने का प्रशिक्षण दिया था। लश्कर के इशारे पर लंबी दूरी की ट्रेनों को निशाना बनाकर देश को दहलाने की साजिश रची गयी थी। सूत्रों के अनुसार सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस से भेजे गए पार्सल में एक सेंसर भी लगाया गया था। हालांकि बनाये गए केमिकल बम के कम ज्वलनशील होने के कारण ट्रेन के पार्सल वैन में वह ब्लास्ट नहीं कर सका। आतंकियों की साजिश केमिकल बम से कई लंबी दूरी की ट्रेनों को उड़ाने की थी। हालांकि सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस को ‘द बर्निंग ट्रेन’ में तब्दील करने की साजिश फेल हो जाने के बाद सिकंदराबाद जंक्शन से मिले सीसीटीवी फुटेज के आधार पर एनआईए ने पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया।

बता दें कि एनआईए ने जांच का जिम्मा मिलने के पांच दिनों के अंदर दरभंगा जंक्शन पार्सल ब्लास्ट के मामले का खुलासा कर दिया। ब्लास्ट के बाद से ही यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि आतंकियों ने सिकंदराबाद-दरभंगा एक्प्रेस को आग के हवाले करने की साजिश रची थी। हैदराबाद में लश्कर के दो आतंकी सगे भाई मो. इमरान मल्लिक और मो. नासिर मल्लिक की गिरफ्तारी के बाद इस बात का खुलासा हो गया। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के शामली निवासी मो. इमरान मल्लिक और मो. नासिर मल्लिक हैदराबाद में अपनी मां के साथ किराए के मकान में रहते थे। वे रेडीमेड कपड़ों का धंधा करते थे। इसी दौरान मो. नासिर मल्लिक का संपर्क पकिस्तान के लश्कर आतंकी इकबाल काना से हुआ था। इसके बाद काना के इशारे पर फेक करेंसी का सिंडिकेट तैयार किया गया था। बहरहाल एनआईए को साजिश में शामिल कई अन्य लोगों की भी तलाश है।

हवाला कारोबारियों के माध्यम से भेजे गए थे रुपए
उत्तर प्रदेश के कैराना से सलीम और कफील की गिरफ्तारी के बाद एनआईए के हाथ कई महत्वपूर्ण जानकारियां लगी हैं। ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए पुरानी दिल्ली के कई हवाला कारोबारियों के जरिये इकबाल काना ने सलीम को पैसे भेजवाये थे। जांच एजेंसी के हाथ जानकारी लगी है कि ब्लास्ट को अंजाम देने कर लिए मो. नासिर मल्लिक व मो. इमरान मल्लिक को 1.5 लाख रुपये दिए गए थे। बताया जाता है कि सोशल मीडिया के जरिये इकबाल काना से दोनों के संपर्क करने के सबूत भी एनआईए को मिले हैं। उनलोगों के टारगेट पर और कौन-कौन सी जगह थी, इसे लेकर गहन पूछताछ चल रही है। मो. सुफियान के सिलसिले में उनलोगों से पूछताछ की जा रही है। अभी तक की जांच में पता चला है कि पाकिस्तान में बैठे लश्कर के हैंडलर इकबाल काना ने दरभंगा के अलावा देश के कई कोनों में दहशत मचाने के लिए युवकों को तैयार करने का जिम्मा सौंपा था।

बताया जाता है कि काना ने केमिकल बम बनाने का फार्मूला भी सलीम के मोबाइल पर भेजा था। वहीं दूसरी ओर सिकंदराबाद से भेजे गए पार्सल पर जो मोबाइल नंबर दर्ज था वह कफील का बताया जा रहा है। एनआईए उसके कॉल डिटेल्स की गहन तहकीकात कर रही है। इस साजिश में कई स्लीपर सेल के शामिल होने की भी आशंका जतायी जा रही है