बढ़ रहा कुनबा : किसान आंदोलन ने पश्चिम यूपी में रालोद को दी संजीवनी, जयंत से जुड़ रहे हैं नेता 

किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद की स्थिति मजबूत होती देख दूसरे दलों के नेताओं का रुख भी अब रालोद की तरफ होने लगा है।

बढ़ रहा कुनबा : किसान आंदोलन ने पश्चिम यूपी में रालोद को दी संजीवनी, जयंत से जुड़ रहे हैं नेता 

विस्तार
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से अस्तित्व तलाश रहे राष्ट्रीय लोकदल का कुनबा एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के बाद रालोद नेताओं की सक्रियता बढ़ी है। किसान आंदोलन की शुरुआत में जयंत चौधरी की ताबड़तोड़ रैलियों से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ। जिला पंचायत चुनाव में मिले जनसमर्थन ने इस ऊर्जा को और बढ़ा दिया है। 


थानाभवन सीट पर 2007 में राव अब्दुल वारिस के बाद जिले में रालोद का कोई विधायक नहीं बना। बीते दो विधानसभा चुनाव रालोद के लिए सूखे रहे। 2018 में कैराना लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव में रालोद के सिंबल पर तबस्सुम हसन ने जीत दर्ज की थी लेकिन यह सपा-रालोद के गठबंधन का कमाल था।


करीब सात माह पहले शुरू हुए किसान आंदोलन में चौ. अजित सिंह की सक्रियता का लाभ रालोद को  मिलना शुरू हो गया था। 30 जनवरी को मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में हुई महापंचायत में जयंत चौधरी के शामिल होने के बाद शाहपुर की पंचायत में खुद चौधरी अजित सिंह शामिल हुए थे। शामली के भैंसवाल में जयंत चौधरी की जनसभा में भी भारी भीड़ उमड़ी थी।
किसान आंदोलन में रालोद ने आगे बढ़कर काम किया। इसी का परिणाम है कि जिला पंचायत चुनाव में रालोद के समर्थन से पांच सदस्य जीतकर आए हैं जबकि सत्ताधारी भाजपा समर्थित सदस्यों की संख्या चार ही रह गई। रालोद के साथ मिले सपा के दो व निर्दलीय सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी रालोद-सपा गठबंधन के उम्मीदवार की स्थिति को मजबूत कर रखा है।

कोरोना संक्रमण काल में पार्टी प्रमुख चौधरी अजित सिंह के निधन से पार्टी को झटका जरूर लगा लेकिन अब कमान जयंत चौधरी के हाथों में है। किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद की स्थिति मजबूत होती देख दूसरे दलों के नेताओं का रुख भी अब रालोद की तरफ होने लगा है। इस झुकाव के पीछे नेताओं को यह उम्मीद है कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी। 

इन नेताओं ने थामा रालोद का दामन 
सपा नेता उमेश कुमार रालोद में शामिल होकर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े और जीत हासिल की। जिला पंचायत सदस्य बबली के पति राकेश ने भी कुछ दिनों पूर्व रालोद की सदस्यता ली थी। इसके अलावा महिला आयोग की सदस्य रहीं प्रियंवदा तोमर भी रालोद में शामिल हो चुकी हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष संतोष देवी के पति प्रसन्न चौधरी के बाद अब पूर्व विधायक राव अब्दुल वारिस ने भी रालोद का दामन थाम लिया है। 

रालोद में बढ़ रहा लोगों का विश्वास 
रालोद जिलाध्यक्ष योगेंद्र चेयरमैन कहते हैं कि रालोद सर्वसमाज की पार्टी है। किसान आंदोलन में पार्टी प्रमुख स्व. चौधरी अजित सिंह एवं जयंत चौधरी ने आगे बढ़कर किसानों की आवाज को बुलंद किया। केंद्र और प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों से हर वर्ग परेशान है। इसलिए रालोद में जनता का विश्वास बढ़ा है। कुछ नेता जो दूसरे दलों में चले गए थे वे घर वापसी कर रहे हैं। नए लोग भी पार्टी से जुड़ रहे हैं। अभी और भी कई नेता संपर्क में हैं।