भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर देश के लिए क्यों खतरा बनते जा रहे हैं रोहिंग्या
उप्र के कानून-व्यवस्था के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि अजीजुल के पांच बैंक खातों में विदेशों से भी लाखों रुपये भेजे गए हैं। यह रकम वर्ष 2015 से उसके खातों में भेजी जा रही थी। उसके टेरर फंडिंग में शामिल होने की आशंका है।
नई दिल्ली:आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर से रोहिंग्या अजीजुल हक को पकड़ा है। वर्ष 2017 से अवैध ढंग से भारत में रह रहे अजीजुल के खाते में आई रकम को लेकर छानबीन शुरू कर दी गई है। गुरुवार को लखनऊ कोर्ट में आरोपित और अवैध पासपोर्ट सहित अन्य फर्जी दस्तावेज पेश करते हुए एटीएस ने टेरर फंडिंग की आशंका जाहिर की है। यह पहला मौका नहीं है। बीते सालों में कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें आतंकवादी गतिविधियों से लेकर अपराध में रोहिंग्या शामिल पाए गए। भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी रोहिंग्या अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। बांग्लादेश सरकार तो उन्हें एक द्वीप में बसाने जा रही है-
रोहिंग्या संकट दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ रहा शरणार्थी संकट है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 तक लगभग चार लाख रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी कैंपों में रह रहे थे। उल्लेखनीय है कि इस समुदाय में जनसंख्या वृद्धि का दर बहुत तेज है, जिसकी वजह से इन्हें शरण देने वाले म्यांमार से लेकर बांग्लादेश के लिए यह मुसीबत बन चुके हैं। भारत में यह लगातार घुसपैठ करने की कोशिश करते रहते हैं।
1400 ईस्वी का इतिहास : रोहिंग्या मूल रूप से म्यांमार देश के रखाइन राज्य और बांग्लादेश के चटगांव इलाके में बसे थे। 1400 ईस्वी के आस-पास बर्मा (आज के म्यांमार) के ऐतिहासिक अराकान प्रांत (आज के रखाइन राज्य) में आकर रहने लगे थे। इनमें से बहुत से लोग 1430 में अराकान पर शासन करने वाले बौद्ध राजा नारामीखला के राज दरबार में नौकर थे। बढ़ती आबादी, अपराध व अन्य गतिविधियों में लिप्तता की वजह से 1982 में राष्ट्रीयता कानून पास करने के बाद इन्हें नागरिकता देने से इंकार कर दिया गया।
भारत में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या : भारत सरकार ने वर्ष 2017 में संसद में बताया था कि भारत में 14,000 से अधिक रोहिंग्या रह रहे हैं। यह वह संख्या है जो संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर से पंजीकृत हैं। यद्यपि सहायता एजेंसियों का अनुमान है कि देश में करीब 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं।
10 लाख को नहीं दी थी नागरिकता : म्यांमार सरकार द्वारा 2014 में करवाई गई जनगणना रिपोर्ट के अनुसार रखाइन की कुल आबादी 21 लाख थी। इसमें उन्होंने 10 लाख रो¨हग्या को शामिल नहीं किया था। रखाइन से पलायन कर इन्होंने थाईलैंड, बांग्लादेश में शरण लिया। भारत में भी घुसपैठ की कोशिश की।
इन राज्यों में हैं रोहिंग्या : हैदराबाद (आंध्रप्रदेश), हरियाणा, जम्मू कश्मीर, राजस्थान और दिल्ली के कई अन्य इलाकों में बसे हैं। बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी कुछ संख्या में मौजूद हैं। आंतकवादी गतिविधियों से लेकर अपराधों में इनकी लिप्तता के लगातार सबूत मिल रहे हैं।
बांग्लादेश में एक द्वीप में बसाया जा रहा है : बांग्लादेश के तट से 60 किलोमीटर की दूरी पर भाषन चौर द्वीप मौजूद है। लगभग 20 साल पहले खोजा गया यह द्वीप समुद्र तल से छह फीट ऊंचाई पर बसा है। रोहिंग्याओं को यहां बसाने के लिए बांग्लादेश सरकार 350 मिलियन डॉलर की लागत से एक शहर विकसित कर रही है, जहां 100,000 शरणाíथयों को बसाया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर बताया सुरक्षा के लिए खतरा : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अंतरराष्ट्रीय मंच पर कह चुकी हैं कि रोहिंग्याओं की वजह से कॉक्स बाजार में हिंसा, ड्रग और मानव तस्करी के मामले बढ़ने लगे हैं। इसी तरह म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची ने भी कहा कि रोहिंग्या आतंकी हमलों में शामिल हैं। रोहिंग्या समूहों ने म्यांमार में हमले कराए है।