मालभाड़े और लागत ने भड़काई महंगाई, एक साल में खाद्य तेल 40 तो पेट्रोल-डीजल 25 फीसद उछले
भारत समेत दुनियाभर के देशों में महंगाई की आग भड़की हुई है, लेकिन भारत में जिंस यानी कमोडिटी के दाम अन्य देशों की तुलना में काफी तेजी से बढ़े हैं। पिछले एक साल में खाद्य तेलों के दामों में लगभग 30 से 40 फीसदी की तेजी आई है। महंगाई यह तेजी उत्पादन घटने या मांग बढ़ने से नहीं आई है बल्कि मांग में कमी और लागत में वृद्धि से आई है।
खाद्य तेल और पेट्रोल-डीजल के अलावा रसोई गैस के दाम में भी इजाफा हुआ है जिसकी चौतरफा मार उपभोक्ताओं पर पड़ रही है। महंगाई के मामले में अमेरिका, चीन, रूस और ब्राजील में भी यही स्थिति है, लेकिन भारत में स्थिति ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। मांग कम होने के बावजूद महंगाई बढ़ना विशेषज्ञों के लिए हैरान करने वाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि आपूर्ति शृंखला में बाधा महंगाई बढ़ने की एक बड़ी वजह हो सकती है। कोरोना के अलावा प्राकृतिक आपदा और अन्य वजहों से आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ा है।
तेल का मालभाड़े पर असर
पिछले एक साल में देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत करीब 25 फीसदी बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है इससे सीधे तौर पर महंगाई में 2.5 फीसदी इजाफा होना चाहिए। लेकिन इस अवधि में मालभाड़ा करीब दोगुना हो गया है। इसकी वजह से महंगाई उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ी है। इसका असर आम आदमी की जेब पर हो रहा है।
भारत में बढ़ी महंगाई
विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में मेरिका, चीन, रूस और ब्राजील में महंगाई दर में गिरावट का रुख रहा। जबकि भारत में इसमें तेजी का रुख रहा है। भारत में महंगाई दर वर्ष 2019 में चार फीसदी के करीब थी जो वर्ष 2020 में बढ़कर सात फीसदी के करीब पहुंच गई।
कितना बढ़ा दाम
सरसों तेल की कीमत पिछले साल एक जुलाई को 138 रुपये प्रति लीटर थी ,जो अब 170 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई है। इसी तरह सोया तेल 105 रुपये से बढ़कर 138 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। वहीं इस अवधि में पेट्रोल 80.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 100 रुपये प्रति लीटर और डीजल 80.53 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 90 रुपये के पार चला गया है।