विकास की राह : पश्चिमी यूपी और दिल्ली-एनसीआर के लिए बड़ी सौगात बनेगी रैपिड रेल

दुनिया के दूसरे कॉरिडोर से लंबा होगा मेट्रो व आरआरटीएस का संयुक्त नेटवर्क, 2023 में पहली रैपिड रेल होगी ट्रैक पर पूरा नेटवर्क कॉरिडोर 2025 तक  हो जाएगा तैयार, प्राथमिकता के आधार पर पहला कॉरिडोर दिल्ली-मेरठ के बीच 

विकास की राह : पश्चिमी यूपी और दिल्ली-एनसीआर के लिए बड़ी सौगात बनेगी रैपिड रेल

विस्तार
मेरठ-गाजियाबाद-दिल्ली रैपिड रेल परियोजना पश्चिमी उत्तर प्रदेश और एनसीआर के विकास के लिए बड़ी सौगात साबित होगी।  प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद मेट्रो समेत आरआरटीएस का नेटवर्क 743 किमी लंबा होगा।


इसके बाद दुनिया के बेहतरीन ट्रांजिट सिस्टम के तौर पर मशहूर लंदन क्रॉस रेल, हांगकांग एमटीआर और पेरिस आरईआर से ज्यादा लंबा सिस्टम दिल्ली-एनसीआर का होगा। आरआरटीएस अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस के पहले हिस्से के तौर पर साहिबाबाद-दुहाई के बीच रैपिड रेल 2023 से दौड़ने लगेगी जबकि पूरा कॉरिडोर 2025 तक तैयार हो जाएगा।


दरअसल, केंद्र और प्रदेश सरकार के ज्वाइंट वेंचर के तौर पर दिल्ली से तीन आरआरटीएस कारीडोर का निर्माण होना है। प्राथमिकता के आधार पर पहला कॉरिडोर दिल्ली-मेरठ के बीच बन रहा है। इसका करीब 68 किमी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में है। प्रोजेक्ट की लागत करीब 30,274 करोड़ रुपये है। इसमें प्रदेश सरकार का करीब 17 फीसदी अंशदान है। इसके लिए राज्य सरकार ने अपने बजट में वित्त वर्ष 2021-22 में 1326 करोड़ रुपए आवंटित भी किए हैं। 

आरआरटीएस के जीएम वीरेंद्र कुमार ने बताया कि यूपी सरकार की ओर से इस परियोजना के लिए पिछले साल करीब 650 करोड़ रुपये दिए गए थे। इसके अलावा करीब 20 सरकारी भूमि पर राज्य सरकार की ओर से कार्य करने की अनुमति दी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही यह भूमि सरकार की ओर से हस्तांतरित की जाएगी। वहीं, साहिबाबाद से दुहाई के बीच के कारीडोर पर 2023 से देश की पहली रैपिड रेल चलने लगेगी।

परिवहन के सभी माध्यमों को जोड़ेगा रैपिड रेल
मेरठ-गाजियाबाद-दिल्ली रैपिड रेल परियोजना की लंबाई 82.15 किमी है। 
मेरठ में आरआरटीएस नेटवर्क पर स्थानीय परिवहन सेवाएं भी मिलेंगी। इसके लिए 21 किमी की दूरी में 13 स्टेशन बनेंगे।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर दो डिपो स्टेशनों सहित 24 स्टेशन होंगे। 
आरआरटीएस स्टेशनों को हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशनों, अंतरराज्यीय बस टर्मिनस (आईएबीसटी), दिल्ली मेट्रो स्टेशनों जैसे परिवहन के विभिन्न साधनों के साथ जोड़ा जाएगा। 
आरआरटीएस के सभी 3 कॉरिडोर सराय काले खां में मिलेंगे और इंटरऑपरेबल होंगे। इससे यात्रियों को बिना ट्रेन बदले एक  से दूसरे कॉरिडोर तक यात्रा करने में मदद मिलेगी।

प्रदूषण रोकने में मदद करेगा आरआरटीएस
रैपिड रेल की तेज गति व उसके बिजनेस क्लास कोच निजी वाहन चालकों के लिए रहेगा फायदेमंद।
आम लोग कार छोड़कर आरआरटीएस कारीडोर से सफर करने में ले सकते हैं।
दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के शुरू होने से क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन की भागीदारी 37 प्रतिशत से बढ़कर 63 प्रतिशत होने की उम्मीद है।