संडे बाइस्कोप: रेखा को इसलिए बुलाते थे ‘लेडी अमिताभ’, लेकिन साउथ के इस डायरेक्टर पर नहीं चल सका जादू

संडे बाइस्कोप: रेखा को इसलिए बुलाते थे ‘लेडी अमिताभ’, लेकिन साउथ के इस डायरेक्टर पर नहीं चल सका जादू

संडे बाइस्कोप

अनलॉक 4.0 में भी सिनेमाघरों के खुलने की सूरत बनती नहीं दिख रही है। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एंटरटेनमेंट वाले अपनी दोनों फिल्मों ‘83’ और ‘सूर्यवंशी’ को लेकर परेशान हैं। फिल्म इंडस्ट्री में चर्चा है कि सिनेमाघर जल्दी न खुले तो रिलायंस एंटरटेनमेंट का हाल भी वही हो सकता है जो अनिल अंबानी की बाकी कंपनियों का हुआ। इस कंपनी के खरीदार बनने की ख्वाहिश रखने वाली कंपनी की नेटवर्थ का हिसाब किताब भी लगाने लगे हैं। सिनेमाघर जब खुलेंगे तब खुलेंगे, आप घर में रहिए, सुरक्षित रहिए और पढ़ते रहिए हमारी खास सीरीज ‘बाइस्कोप’। बीते हफ्ते इस सीरीज में शामिल हुई फिल्में रहीं, ‘काला पत्थर’, ‘हम किसी से कम नहीं’, ‘बीवी हो तो ऐसी’, ‘धूम’ और ‘प्यासा सावन’। तो चलिए दबाते हैं रिवाइंड बटन और एक झलक देखते हैं इन कमाल फिल्मों के धमाल किस्सों की...
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बिग बी के सामने शॉट गन
सलीम जावेद की ‘काला पत्थर’ के बाद लिखी तीन और बैक टू बैक फिल्मों में भी शत्रुघ्न सिन्हा नजर आए। ये फिल्में थीं, ‘दोस्ताना’, ‘शान’ और ‘क्रांति’। यही वह दौर था जब सलीम खान और जावेद अख्तर के बीच थोड़ा थोड़ा कुछ न कुछ टूट रहा था। जावेद अख्तर धीरे धीरे अमिताभ बच्चन की तरफ झुक रहे थे और सलीम खान का रुतबा अपना अलग ही तरह का बन रहा था। ये जोड़ी क्यों टूटी, कैसे टूटी, किसने पहले इसका एलान किया, इस पर विस्तार से फिर कभी चर्चा होगी, लेकिन, आज के बाइस्कोप की फिल्म ‘काला पत्थर’ के किस्से भी कुछ कम दिलचस्प नहीं हैं।

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ऋषि कपूर की सुपरहिट फिल्म
फिल्म ‘हम किसी से कम नहीं’ की शोहरत इसके हीरो ऋषि कपूर के चलते खूब हुई। फिल्म से लॉन्च हुईं हीरोइन काजल किरण ने साबित किया कि हुनर हो तो फिल्म इंडस्ट्री में हाइट कोई मायने नहीं रखती। रानी मुखर्जी ने भी बरसों बाद इसी लकीर को फिर से पक्का किया। काजल किरण और ऋषि कपूर के अलावा फिल्म में तीसरा अहम किरदार था तारिक हुसैन का। तारिक और आमिर खान रिश्ते में चचेरे भाई हैं। फिल्म ‘हम किसी से कम नहीं’ भी बनी है बिछड़ने और फिर मिल जाने के फॉर्मूले पर। हिंदी सिनेमा में इस फॉर्मूले की शुरूआत अशोक कुमार की फिल्म ‘किस्मत’ से मानी जाती है और निर्देशक यश चोपड़ा ने ‘लॉस्ट एंड फाउंड’ के फॉर्मूले को फिल्म ‘वक्त’ में कुदरती हादसों और जज्बात से जोड़ दिया। ताहिर हुसैन की फिल्म ‘यादों की बारात’ और मनमोहन देसाई की फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ से होते होते ये मसाला ‘हम किसी से कम नहीं’ तक पहुंचा।

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नए जमाने की बहू का नया अंदाज
रेखा ने अपने करियर में जीतेंद्र के साथ तमाम ऐसी फिल्में की हैं जिनमें वह सिंदूर और मंगलसूत्र के लिए दूसरी हीरोइन के साथ कॉम्पिटिशन करती नजर आईं। इन फिल्मों में साड़ी पहनने वाली रेखा दिखती भी बहुत खूबसूरत हैं। लेकिन, ये सारे किरदार एक हीरो के इर्द गिर्द रचे गए किरदार थे। फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ एक तरह से घरेलू हिंसा के खिलाफ खड़ी हुई एक बहू की कहानी है जो अपने परिवार के लिए दबंग बनने से भी बाज नहीं आती। ये नए जमाने की नई बहू का अवतार था। फिल्म में कांजीवरम की साड़ियां पहनने वाली, ससुर के पैर छूने वाली, सरस्वती की पूजा करने वाली, देवर का घर बसाने की कोशिशें करने वाली शालू शानदार तरीके से अपना रौद्र रूप भी दिखाती है। ये उन दिनों की बात है जब रेखा को ‘लेडी अमिताभ’ कहा जाने लगा था। और, दर्शकों ने उनका ये एक्शन अवतार खूब पसंद भी किया। हालांकि इसी फिल्म में कॉमेडी भी उन्होंने खूब की है।

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अभिषेक को मिला जीवनदान
फिल्म में जय दीक्षित का रोल करने वाले अभिषेक बच्चन के लिए फिल्म ‘धूम’ मुंहमांगी मुराद बनकर आई। अभिषेक इस फिल्म को कुछ इस तरह याद करते हैं, ‘एक फिल्म जिसने सबकुछ बदल दिया। खासतौर से मेरे लिए। आदि (आदित्य चोपड़ा) और संजय गढ़वी ने जय दीक्षित के किरदार को लेकर मुझ पर जो भरोसा किया, उसके लिए मैं कभी चाहकर भी इन दोनों का ऋण नहीं चुका पाऊंगा। इनका भरोसा, इनका विश्वास और समर्थन मेरे तब काम आया, जब मुझे अपने करियर में इनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। जॉन अब्राहम, उदय चोपड़ा, एशा देओल और रिमी सेन के साथ फिल्म की मेकिंग के दौरान हमने जो यादें संजोईं और जो दोस्ती बनाई, वह आज तक कायम है और जीवन भर रहेगी। अलान अमीन, अनाइता श्रॉफ, मयूर पुरी, नीरव और वैभवी मर्चेंट ने हमारे लुक्स, हमारे अंदाज और हमारी चाल पर मेहनत की और हमें परदे पर आकर्षक तरीके से पेश किया। और, साथ ही शुक्रिया उन सभी दर्शकों का जिन्होंने हमें स्वीकार किया और इतना सारा प्यार दिया।’ अभिषेक और रिमी सेन के बेहद इंटीमेट सीन्स संजय ने इस फिल्म के लिए फिल्माए थे। फिल्म का ये गाना अपने समय का चर्चित गाना रहा। गाने में इस्तेमाल किए गए शब्द, शिकदूम का मतलब होता है, डर्टी डांसिंग।

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दासरी का फिल्ममेकिंग रिकॉर्ड
फिल्म ‘प्यासा सावन’ जीतेंद्र के स्वर्णिम दौर की फिल्म है। फिल्म के निर्देशक दासरी नारायण राव ने मुख्य रूप से तेलुगू फिल्में ही निर्देशित कीं लेकिन तमिल, कन्नड़ और हिंदी में भी उनकी निर्देशित फिल्मों की संख्या अच्छी खासी है। हिंदी में उन्होंने अधिकतर फिल्में जीतेंद्र के साथ ही बनाईं। राजेश खन्ना को लेकर उन्होंने चर्चित फिल्म ‘आज का एमएलए रामवतार’ बनाई थी। रजनीकांत को लेकर दासरी नारायण राव ने एक हिंदी फिल्म बनाई थी ‘वफादार’ जिसमें हीरोइन थीं पद्मिनी कोल्हापुरे और विजयेता पंडित। ये जानकारी शायद आपको दिलचस्प लगे कि देश में सबसे ज्यादा फिल्में निर्देशित करने का रिकॉर्ड भी दासरी नारायण राव के पास ही है। उन्होंने अपने जीवन में कुल 140 फिल्मों का निर्देशन किया। साल 2006 में वह राज्य सभा के लिए चुने गए और केंद्र में कोयला राज्य मंत्री का पद संभाला। उनके खिलाफ कोयला घोटाले में सीबीआई ने एफआईआर भी दाखिल की थी। दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले दासरी नारायण राव का सिनेमा जीवन संघर्षों के विभिन्न आयाम दिखाने वाला सिनेमा रहा और इसने मोटे तौर पर ये स्थापित करने की कोशिश की कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती।

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