सैन्य तख्तापलट के बाद से अशांत है म्यांमार, प्रदर्शन जोरों पर
म्यांंमार के लिए न्याय की मांग वाले पोस्टर हाथ में लिए लोगों का हुजूम सैन्य तख्तापलट को खारिज करने के नारे लगा रहा है। कुछ सैंकड़ों लोगों के साथ शुरू हुआ यह प्रदर्शन हजारों लोगों की भीड़ में तब्दील हो गया।
म्यांमार में एक सप्ताह पहले हुए सैन्य तख्तापलट के बाद देश भर में बवाल मचा है। यंगून में प्रदर्शनकारी नारेबाजी कर रहे हैं। म्यांंमार के लिए न्याय की मांग वाले पोस्टर हाथ में लिए लोगों का हुजूम सैन्य तख्तापलट को खारिज करने के नारे लगा रहा है। कुछ सैंकड़ों लोगों के साथ शुरू हुआ यह प्रदर्शन हजारों लोगों की भीड़ में तब्दील हो गया। प्रदर्शनकारियों के बीच सू की की लोकप्रियता इतनी है कि वे 'मदर सू की दीघार्यु हों' के नारे लगा रहे हैं।
सू की सरकार पर सेना का आरोप
यंगून के विभिन्न इलाके में अलग-अलग प्रदर्शन शुरू हुए जो यहां स्थित सुले पैगोडा (Sule Pagoda) तक पहुंच गया। देश की गलियों में इन दिनों बर्तन बजाकर भी लोग अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं और अपनी नेता की रिहाई की मांग कर रहे हैं। गत नवंंबर माह में चुनावों में सू की को बड़ी जीत हासिल हुई, उनकी 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी' पार्टी ने 80 फीसद से अधिक वोट हासिल किए थे। सेना ने सू की सरकार (Suu Kyi's government) पर अपनी शिकायतों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। सेना का कहना है कि बीते साल हुए चुनावों में धांधली हुई थी।
म्यांमार में एक साल के लिए आपातकाल
एक फरवरी को सेना के सत्ता अपने हाथों में लेने के बाद सेना के जनरल मिन ऑन्ग ह्लाइंग ने देश में एक साल का आपातकाल लागू कर दिया है। इस दौरान देश का कामकाज देखने के लिए ग्यारह सदस्यों की एक सैन्य सरकार चुनी गई है।
एक साल बाद होंगे चुनाव: सेना
म्यांमार में 1 फरवरी को सेना ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के नेताओं को हिरासत में ले लिया और देश की सत्ता को कब्जे में ले लिया। सेना ने बाद में यह घोषणा की थी कि तख्तापलट देश के लिए जरूरी था और अब एक साल बाद चुनाव कराए जाएंगे।