सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग के लिए चेयरपर्सन की नियुक्ति पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब
विधि आयोग को वैधानिक संस्था घोषित करने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कानून आयोग को वैधानिक निकाय घोषित करने और एक महीने के भीतर पैनल के अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करने के लिए केंद्र से निर्देश मांगने की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।
सुप्रीम कोर्ट ने आज विधि आयोग को वैधानिक संस्था घोषित करने की याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र और कानून मंत्रालय से जवाब मांगा। ये याचिका 22वें विधि आयोग की स्थापना के लिए विधि आयोग और उसके सदस्यों के लिए चेयरपर्सन की नियुक्ति की मांग को लेकर की थी। चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने विधि आयोग को वैधानिक संस्था घोषित करने के संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) ने दावा किया कि वर्तमान में विधि आयोग काम नहीं कर रहा है, जि कारण केंद्र सरकार कानून के विभिन्न पहलुओं पर इस विशेष निकाय के लाभ से वंचित है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद सरकार और केंद्रीय कानून मंत्रालय को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता की दलील के मुताबिक, 31 अगस्त 2018 को जस्टिस बीएस चौहान का कार्यकाल समाप्त होने के 5 महीने बाद से चेयरपर्सन का पद पिछले 2 सालों से खाली है। याचिका में कहा गया कि विधि आयोग को कानून के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने और केंद्र को अपनी सिफारिशें देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आयोग कानून में अनुसंधान करता है और सुधार करने और नए कानून बनाने के लिए मौजूदा कानूनों की समीक्षा करता है।
याचिका में कहा गया है कि विधि आयोग काम नहीं कर रहा है, केंद्र को कानून के विभिन्न पहलुओं पर इस विशिष्ट निकाय की सिफारिशों का लाभ नहीं है, जो आयोग को इसके अध्ययन और सिफारिशों के लिए सौंपा गया है।