मेरी कविताओं की भूमि मेरा मन है : रामा तक्षक
वरिष्ठ कवयित्री अलका सिन्हा ने रामा तक्षक से उनके रचना कर्म पर बातचीत की। कार्यक्रम में कवि ने समारोह में श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए। तक्षक ने कहा की व्यक्ति को साक्षी भाव से जीना चाहिए। खुद उन्हें जीने की प्रेरणा खजुराहो के मंदिरों से मिली।
मेरी कविताओं की भूमि मेरा मन है। मुझे फूलों की ख़ूबसूरती बहुत प्रभावित करती है। इसलिए मेरे मन की भूमि से कवताओं के फूलों ने जन्म लिया। ये फूल अब आपके सामने हैं। नीदरलैंड से भारत यात्रा पर आए प्रसिद्ध कवि और हिंदी सेवी रामा तक्षक ने यह बातें कहीं। अवसर था - केंद्रीय हिंदी संस्थान और अक्षरम के तत्वावधान में आयोजित रामा तक्षक और उनकी पत्नि के स्वागत समारोह का। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय हिंदी संस्थान के 'संगोष्ठी कक्ष' में किया गया है।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवयित्री अलका सिन्हा ने रामा तक्षक से उनके रचना कर्म पर बातचीत की। कार्यक्रम में कवि ने समारोह में श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए। तक्षक ने कहा की व्यक्ति को साक्षी भाव से जीना चाहिए। खुद उन्हें इस भाव से जीने की प्रेरणा खजुराहो के मंदिरों से मिली। वे जब भी भारत आते हैं, तो खजुराओ के मंदिरों में जाते हैं। उन्होंने भाषा पर कहा की नीदरलैंड की दूसरी पीढ़ी हिंदी - भोजपुरी से दूर हो रही है। वहीं परंपरा के नाम पर पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हिंसा का भी विरोध किया। दो संस्कृतियों के टकराव के सवाल पर उन्होंने कहा की - जब बात संस्कृति की होती है तो सहयोग मिलता है। लेकिन जब जीवन की बात होती है तो कुछ टकराव होता है। उन्होंने अपनी कुछ चुनिंदा कविताओं का भी पाठ किया। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण को भी आवाज़ दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ राजनयिक और हिंदी विद्वान नारायण कुमार ने कहा की इस कार्यक्रम ने हमें आभासी से प्रभासी बना दिया।
केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ लेखक अनिल जोशी के सानिध्य में यह आयोजन हुआ। जोशी ने कहा कि हम पूरी दुनिया में हिंदी का नेतृत्व विकसित करना चाहते हैं। इस कड़ी में हॉलैंड में सामने आ रहे नए नेतृत्व में रामा तक्षक का महत्वपूर्ण योगदान है। कार्यक्रम में नूतन पाण्डेय, दीपक पाण्डेय, अपर्णा सारस्वत और मनोज सिन्हा सहित कई विद्वानों ने सहभागिता की। कार्यक्रम में स्वागत भाषण संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक प्रमोद शर्मा ने दिया। कार्यक्रम के संयोजक विजय कुमार मिश्र थे और धन्यवाद ज्ञापन अतुल प्रभाकर ने दिया।