BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा के यूपी प्रवास से मंत्रियों में बढ़ी बेचैनी, चुनावों के साथ कामकाज की करेंगे समीक्षा
योगी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बीच भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा का 21 और 22 जनवरी को लखनऊ में प्रवास को लेकर मंत्रियों की बेचैनी बढ़ गई है। जेपी नड्डा संगठन पदाधिकारियों के साथ योगी सरकार के मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी करेंगे।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा गुरुवार को पहली बार लखनऊ दौरे पर आ रहे हैं। अलग-अलग राज्यों में प्रवास कर रहे नड्डा का उत्तर प्रदेश में दो दिनी प्रवास काफी अहम है, क्योंकि इन दिनों संगठन से लेकर सरकार में तमाम पदों पर नई जिम्मेदारियों के कयास चल रहे हैं।
योगी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बीच भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा का 21 और 22 जनवरी को लखनऊ में प्रवास को लेकर मंत्रियों की बेचैनी बढ़ गई है। जेपी नड्डा संगठन पदाधिकारियों के साथ योगी सरकार के मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी करेंगे। त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के साथ वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों की जानकारी लेंगे।
चुनावों को लेकर होगी रणनीति पर चर्चा : बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सरकार और संगठन के साथ अलग-अलग बैठकें कर आगामी चुनावों को लेकर रणनीति पर चर्चा करेंगे। इसे देखते हुए यहां संगठन भी अपना होमवर्क गंभीरता से कर रहा है। दौरे की तैयारियों को लेकर मंगलवार को प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने वार्ड और मंडल के पदाधिकारियों से लेकर अवध व कानपुर क्षेत्र के पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। सभी को नड्डा के प्रवास कार्यक्रम की रूपरेखा समझाई गई। साथ ही एयरपोर्ट से लेकर विभिन्न स्थानों पर उनके स्वागत की तैयारियों का जिम्मा पदाधिकारियों को सौंपा गया।
स्पष्ट होगी अरविंद कुमार शर्मा की स्थति : गुजरात कैडर के सेवानिवृत्त आइएएस अरविंद कुमार शर्मा के प्रदेश की राजनीति में प्रवेश करने के बाद बनी असमंजस की स्थिति के दौरान नड्डा का दौरा काफी अहम रहेगा। शर्मा की प्रदेश में भूमिका भी नड्डा के आगमन पर ही स्पष्ट होगी। माना जा रहा है कि शर्मा के अनुभव का लाभ प्रशासनिक कार्यकुशलता व दक्षता बढ़ाने में लिया जाएगा ताकि विधायकों के एक खेमे में अधिकारियों के रवैये को लेकर बढ़ता असंतोष काबू किया जा सके। ऐसे में मंत्रिमंडल से कई मंत्रियों की छुट्टी होने की संभावनाएं भी जतायी जा रही हैं। पंचायत चुनाव से पूर्व किसान आंदोलन से गांवों में आक्रोश को नहीं बढऩे देने पर भी विचार होगा।