LadengeCoronaSe : .ताकि घर न कर सके नकारात्मकता, नसीहत के साथ उपचार पर जोर
सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने के लिए कोई डॉ. मरीजों को गाना सुना रहा है तो कोई दे रहा रामायण पाठ की नसीहत ऑल इज वेल के साथ साकारात्मक उर्जा का डॉक्टर कर रहे है संचार
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डर ही वायरस है, विश्वास ही वैक्सीन है। कोविड की इस घड़ी में फ्रंटलाइन कर्मी डॉक्टर मरीजों के तनाव को कैसे दूर किया जाए इस पर भी तरह-तरह के फार्मूले अपना रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों के अंदर बैठे हुए डर को कोई उनके पसंदीदा गायक के बारे में पूछ कर दो लाइन गुनगुनाने को कह रहा है तो कोई गायत्री मंत्र पढ़कर ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने की बात कर रहा है। साथ ही परिजनों को भी महामारी के दौर में महामृत्युंजय जाप की सीख दे रहे हैं।
दरअसल डॉक्टर मरीजों को खुश रखकर उन्हें कोरोना पर विजय प्राप्त करने के लिए ऑल इज वेल का मंत्र दे रहे हैं। सोशल मीडिया के मौजूदा दौर में डॉक्टर खुद एडमिट कोविड मरीजों को वीडियो कॉल करा कर उनके घर वालों से बात कराते हैं। साथ ही परिजनों को सकारात्मक नजरिए से मरीजों के साथ पेश होने को सलाह भी देते हैं। इतना ही नहीं, मरीजों व परिजनों को उनके धर्म के हिसाब से कुरान, गीता, बाइबल, रामायण पढ़ने की नसीहत दे रहे हैं।
किशोर कुमार के गानों का शौक रखने वाले केजीएमसी लखनऊ से पास डॉ. सुमन कुमार इन दिनों कोविड मरीजों को खुद गाना सुनाते हैं। अस्पताल, घर हो या टेलीफोन, मरीजों से पूछते हैं कि उन्हें कौन से गायक पसंद हैं। फिर उस गायक का गाना सुनते और सुनाते हैं। इसके बाद ही वह मरीजों का ऑक्सीजन लेवल चेक कर सकारात्मक ऊर्जा के साथ कोविड फाइटर बनने की प्रेरणा देते है।
डॉ. सुमन का कहना है कि यह वक्त उपचार के साथ पॉजिटिव एनर्जी के साथ रहने का भी है। डर के माहौल में जीने पर मरीज दम तोड़ देते हैं और सकारात्मक ऊर्जा वाले मौत से भी लड़ लेते हैं। वीडियो कॉल में मरीजों को गाना सुनाते हैं और परिवार वालों को हर क्षण मरीज को खुश रखने को कहते हैं ताकि जीवन की सांस टूटने ना पाएं।
कोविड फाइटर बनें सकारात्मक ऊर्जा के साथ
कोविड फाइटर बनने की आवश्यकता है। जो मरीज फाइटर हैं वह वेंटिलेटर से भी वापस आ रहे हैं और ठीक हो रहे हैं। बुराड़ी स्थित कपिल कोविड अस्पताल के डॉ. धीरज सिंह कहते हैं कि जब मैं खुद कोरोना संक्रमण के चपेट में आया था तो रामायण पढ़ता था। लिहाजा मरीजों को भी गायत्री मंत्र का जाप करने को कहता हूं। जिस भी धर्म के मानने वाले मरीज हैं उन्हें अपने धर्म की किताबें पढ़ने को प्रेरित करता हूं।
डॉ. धीरज अपने जन्म दिन पर खुद घर में महामृत्युंजय का जाप कराएंगे। ताकि उनका परिवार और कोविड से संक्रमित मरीज जल्दी ठीक होकर अपने घर जा सकें। डॉ. धीरज घर में आइसोलेट लोगों को भी टेलीफोन या वीडियो कॉल पर बातचीत में नसीहत देते है कि पॉजिटिव वेब के लिए गायत्री मंत्री का, महामृत्युंजय मंत्रोच्चारण जरूर सुनें। हर क्षण को खुशी से जीना सीखें।
ऑल इज वेल है मददगार
आर्मी हॉस्पीटल की डॉक्टर रह चुकीं दिल्ली की डॉ. शिखा कहती हैं कि आल इज वेल अपने दिल पर हाथ रखकर कहें सच्चाई यही है कि इससे पॉजिटिव एनर्जी आती है। कई ऐसे भी मरीज है जिनका सिटी स्कैन स्कोर 20 है और ऑक्सीजन का लेवल 60 है वह भी आईसीयू से बाहर आ रहे हैं। वह पॉजिटिविटी के साथ कोरोना वायरस को शिकस्त दे रहे हैं। मरीजों को कई बार वीडियो कॉल से उनके परिजनों से बात कराई जा रही है ताकि उनमें जीने की तमन्ना कम ना हो। यह भी देखा जा रहा है कि नेगेटिव एप्रोच वाले जिनका सिटी स्कैन स्कोर 2-10 के बीच में है वह वायरस से लड़ने में नाकाम हो रहे हैं।
खुद को संभालना भी कई बार मुश्किल होता है
मरीजों को मॉरली बूस्ट करना बेहद जरूरी है। ना केवल मरीजों को बल्कि तीमारदार भी सकारात्मक तरीके से मरीजों से बातचीत करते हैं उनका मरीज ठीक हो रहा है। दवा के साथ पॉजिटिव नजरिया रखना बेहद जरूरी है, नेगेटिव एप्रोच होने पर दवा भी नहीं काम करती है। अलीगढ़ से मेडिकल की पढ़ाई कर निजी अस्पताल में कार्यरत डॉ. अखिल कहते हैं कि मॉरल सपोर्ट मरीजों को जरूरी है। कई बार जब मरीज दम तोड़ते है तो खुद को संभालना भी मुश्किल हो जाता है। कोविड वार्ड के मरीजों को हर संभव खुश रखने का डॉक्टर, नर्स व अन्य स्टाफ कोशिश में लगे रहते हैं। दवाईयां, ड्रिप के साथ ही जांच के लिए ले जाते वक्त भी मरीजों को पॉजिटिव एटीट्यूड रखने का भरोसा दिलाया जाता है। वीडियो कॉल करा कर बात कराने में भी स्टाफ मदद करते हैं।