UK में कोरोना वायरस के 'डेल्टा वैरियंट' के 35 हजार से ज्यादा मामले, 'लैंब्डा' की जांच में जुटी एजेंसियां

ब्रिटेन में कोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट से संक्रमण के पिछले सप्ताह 35,204 और मामले आए. इसके साथ ही यहां वायरस के इस वैरियंट से संक्रमितों की कुल संख्या 1,11,157 हो गई है

UK में कोरोना वायरस के 'डेल्टा वैरियंट' के 35 हजार से ज्यादा मामले, 'लैंब्डा' की जांच में जुटी एजेंसियां

ब्रिटेन में कोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट से संक्रमण के पिछले सप्ताह 35,204 और मामले आए. इसके साथ ही यहां वायरस के इस वैरियंट से संक्रमितों की कुल संख्या 1,11,157 हो गई है. अधिकारियों ने शुक्रवार को साप्ताहिक आंकड़े जारी करते हुए बताया कि एक सप्ताह में डेल्टा टाइप के मामलों में 46 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप की पहचान सबसे पहले भारत में हुई थी. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने बताया कि कुल मामलों में से 42 मामले डेल्टा एवाई.1 सब वैरियंट के आए हैं, जिसे डेल्टा प्लस के नाम से भी जानते हैं और कुछ इलाकों में इसके अधिक फैलने की आशंका है. 

पीएचई बताया कि पूरे ब्रिटेन में वायरस के किए गए आनुवांशिकी अनुक्रमण में करीब 95 मामले डेल्टा प्रकार के हैं. हालांकि, कोविड-19 टीके की दोनों खुराकों से अस्पताल जाने की स्थिति से लोगों की अच्छी रक्षा हो रही है. ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी की प्रमुख कार्यकारी डॉ.जेनी हैरिस ने कहा, ‘‘आंकड़े संकेत करते हैं कि हमारे सफल टीकाकरण अभियान से हमने मामलों और अस्पताल में भर्ती होने के संबंधों को तोड़ना शुरू कर दिया है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ यह बहुत उत्साहजनक समाचार है लेकिन हम लापरवाह नहीं हो सकते. टीके की दो खुराक एक खुराक के मुकाबले कोविड-19 के खिलाफ कहीं अधिक कारगर है. इसलिए आप सुनिश्चित करें कि जैसे ही दूसरी खुराक के लिए बुलाया जाए, आप उसे लेने आएं. टीका बेहतरीन सुरक्षा देता है लेकिन पूरी तरह से रक्षा नहीं करता है. इसलिए जरूरी है कि सतर्कता बरती जाए.''

इस बीच, पीएचई ने कहा कि उसने वायरस के लैंब्डा स्वरूप (सी.37) को बुधवार को जांच की सूची में शामिल किया है, ऐसा अंतरराष्ट्रीय विस्तार और एल452क्यू और एफ490एस जैसे कई बदलाव की वजह से किया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 जून को लैंब्डा स्वरूप को ‘वैरियंट ऑफ इंट्रेस्ट' के तौर पर श्रेणीबद्ध किया था. ब्रिटेन में लैंब्डा स्वरूप से संक्रमण के अबतक छह मामले सामने आए है और इन सभी का संबंध विदेश यात्रा से है. सबसे पहले इसकी पहचान पेरु में की गई थी और अबतक 26 देशों में यह मिल चुका है.