आरबीआई मौद्रिक समिति के सामने होंगी ये पांच बड़ी चुनौतियां

कोरोना महामारी की भयावह रूप के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक समिति की बैठक बुधवार से शुरू हो गई।

आरबीआई मौद्रिक समिति के सामने होंगी ये पांच बड़ी चुनौतियां

भारतीय रिजर्व बैंक 4 जून को मौद्रिक समीक्षा पेश करेगा।  बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे आर्थिक चुनौतियों से सामांजस्य बिठाकर मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करना समिति के सामने बड़ी चुनौती होने वाली है। समिति के सामने मौजूदा समय में पांच अहम चुनौतियां हैं, जिनसे निपटकर उसके लिए रेपो रेट में कमी करने का फैसला लेना मुश्किल हो सकता है।

1. तेजी से बढ़ती महंगाई

मौद्रिक पॉलिसी समिति के सामने सबसे पहली चुनौती बढ़ती महंगाई को कम कर विकास की रफ्तार को तेज करना होगा। कोरोना की दूसरी लहर के बाद बीते महीने खाद्य पदार्थों की कीमत में तेजी से उछाल आया है। सरसों तेल, दाल समेत सब्जियों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।

2. ईंधन की कीमतों में इजाफा

भारतीय रिजर्व बैंक के समाने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती मतों को ध्यान में रखकर फैसला लेना होगा. पिछले कुछ दिनों से ईंधन की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का असर महंगाई पर पड़ता है। ऐसे में मौद्रिक पॉलिसी समिति कोई भी फैसला लेने से पहले इस पर जरूर गौर करेगी।

3. कमजोर होता रुपया

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर 73 के पार चला गया है। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट चिंता पैदा करने वाली है। मुद्रा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आयात सस्ते हो सकते हैं। लेकिन निर्यातकों को मुश्कलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा विदेशी निवेशक भी इसे अर्थव्यवस्था का चुनौती मानकर सहम सकते हैं जो परेशानी का सबब बन सकता है।

4. कोरोना संकट के बीच मांग बढ़ाना

दूसरी लहर को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद अब ऑनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आरबीआई के सामने बाजार में तेजी से मांग पैदा कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कदम उठाने होंगे। हालांकि, इसके लिए रेपो रेट में कटौती करना संभव नहीं दिख रहा है।

5. राजकोषीय घाटा को नियंत्रित करना

राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3 फीसदी रहा। यह वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान 9.5 फीसद से कम है। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7.42 फीसद था। राजकोषीय घाटा को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती होगा।

ब्याज दरों पर यथास्थिति बरकरार रहने की उम्मीद

रतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार को शुरू हुई। उम्मीद जताई जा रही है कि एमपीसी कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के चलते पैदा हुई अनिश्चितता के कारण नीतिगत दरों में यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला कर सकती है। एमपीसी द्वारा मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका के चलते भी इस दौरान ब्याज दरों में किसी बदलाव की उम्मीद कम है। प्रत्येक दो महीने में होने वाली इस मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे शुक्रवार को घोषित किए जाएंगे। आरबीआई ने अप्रैल में हुई पिछली एमपीसी बैठक में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इस समय रेपो दर चार फीसद पर और रिवर्स रेपो दर 3.35 फीसद पर है।