खास खबर : दिल्ली में घनी आबादी, उमस और वायु प्रदूषण से आक्रामक हुआ कोरोना
कोरोना के मामले और मौत को लेकर पहले दो अध्ययन आए सामने दिल्ली में अप्रैल से दिंसबर 2020 के बीच रोजाना औसतन दो हजार लोग हुए कोरोना संक्रमित, 39 की हुई मौत पीएम2.5, पीएम10, एसओ2, एनओ2, ओ3 और कार्बन डाई ऑक्साइड भी रहा महामारी का सबब
विस्तार
घनी आबादी के अलावा उमस और वायु प्रदूषण ने भी दिल्ली में कोरोना महामारी को बढ़ावा दिया। यही वजह है कि पिछले साल राजधानी ने संक्रमण की तीन-तीन बार लहर का सामना किया। इस तथ्य को साबित करने के लिए पहली बार दो अलग अलग चिकित्सीय अध्ययन सामने आए हैं। इनमें से एक मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जयपुर के शोद्यार्थियों का है। जबकि दूसरा अध्ययन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का है।
मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशित दोनों अध्ययन में यह साबित हुआ है कि वायु प्रदूषण के मामले में सबसे गंभीर राष्ट्रीय राजधानी में पीएम2.5, पीएम10, एसओ2, एनओ2, ओ3 और कार्बन डाई ऑक्साइड महामारी के प्रसारित होने में सहायक रहा है। जयपुर स्थित मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कुलदीप सिंह और आर्यन अग्रवाल ने अध्ययन में बताया कि दिल्ली में कोरोना के मामले, मौत और संक्रमण दर बढ़ाने में प्रदूषण और मौसम सहायक है।
दूसरी तरफ मामले कम होने की सूरत में प्रदूषण की भूमिका पर शोधार्थियों का कहना है कि यह प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी अवधि के अंतराल से समझी जा सकती है। जब प्रदूषण पीक पर होता है तो संक्रमण को भी फैलने का मौका मिलता है। इसके बाद स्थिति नियंत्रण में आती है लेकिन वापस फिर प्रदूषित कणों के फैलने से नई लहर सामने आने लगती है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण का पहला मामला दो मार्च 2020 को सामने आया था तब से लेकर अब तक चार बार लहर सामने आ चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान 627,113 मामले मिले थे और इस दौरान 10796 मरीजों की मौत हुई थी। यानि इस पूरी अवधि में हर दिन औसतन 2280 लोग कोरोना की चपेट में आए और 39 लोगों की मौत हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार इसी अवधि में पीएम2.5 औसतन 88.3 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर, पीएम10 का स्तर 175, एसओ2 का स्तर 13.3, एनओ2 का स्तर 36.15, ओ3 का स्तर 35.2 और कार्बन डाई ऑक्साइड 1.2 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। एक अप्रैल से 31 दिसंबर 2020 के बीच औसतन तापमान 27.5 डिग्री सेल्सियस रहा और उमस 57.8 फीसदी दर्ज की गई। जबकि हवा की गति रोजाना औसतन 1.1 फीसदी दर्ज की गई थी।
इन छह प्रदूषित कणों से बढ़ा कोरोना, मौत भी
हमीरपुर स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अभिषेक सिंह ने अध्ययन में लिखा है कि कोरोना संक्रमित और मौत दोनों को ही लेकर उमस एवं वायु प्रदूषण की भूमिका रही है। अभी तक मौत के विशलेषण को लेकर ऐसा कोई अध्ययन नहीं हुआ है। प्रति 10 माइक्रोग्राम घनमीटर पीएम2.5 की वजह से 1.46 फीसदी मामले बढ़े हैं। इसी तरह पीएम10 और एनओ2 के 10-10 माइक्रोग्राम पर क्रमश: 1.06 और 8.97 फीसदी संक्रमण के मामले बढ़े। यह ट्रेंड सात, 14 और 21 दिन केअंतराल पर देखने को मिला। कोरोना से हुईं मौत को लेकर इस गणितीय आकलन को देखें तो पीएम2.5, पीएम10, एसओ2, एनओ2 और ओ3 में प्रति 10-10 माइक्रोग्राम की वजह से क्रमश: 5.13, 3.86, 134.88, 33.56 और 43.56 फीसदी मौत को बढ़ाया है।
कोरोना, प्रदूषण और मौसम पर अब तक के अध्ययन
. इटली में फरवरी से अप्रैल 2020 के बीच चार अध्ययन सामने आए हैं। सभी के परिणाम भी यही।
. अमेरिका में जनवरी से अप्रैल 2020 के बीच दो अध्ययन हुए, दोनों यह दावा साबित हुआ।
. चीन ने 23 जनवरी से 29 फरवरी 2020 के बीच पता लगाया कि कोरोना वायरस प्रदूषण के साथ आक्रामक होता है।
. स्पेन, फ्रांस और जर्मनी के वैज्ञानिकों ने मार्च 2020 में पुष्टि की है कि लंबे समय तक प्रदूषण का रहना कोविड के गंभीर वैरिएंट को बढ़ावा दे सकता है।
कोरोना की दिल्ली में शुरूआत
. दिल्ली में पहला कोरोना संक्रमित मरीज मिला 2 मार्च को।
. दिल्ली में कोरोना संक्रमण से पहली मौत हुई 13 मार्च को।
. दिल्ली में पहली बार एक साथ छह कोरोना मरीजों को 29 मार्च को किया था स्वस्थ्य घोषित।
मौसम के साथ यूं बदली लहर
पहली लहर : 23 जून (गर्मी) को पीक आया था जब एक दिन में सबसे ज्यादा 3947 मरीज मिले और 68 लोगों की मौत हुई थी।
दूसरी लहर: 16 सिंतबर (मानसून के दौरान) को पीक मिला था जब एक दिन में सबसे ज्यादा 4473 मरीज मिले और 33 लोगों की मौत हुई थी।
तीसरी लहर: 07 नवंबर (सर्दी) को पीक मिला था जब एक दिन में संक्रमण दर 15 फीसदी पार हो चुकी थी। इस दिन 6953 संक्रमित मरीज मिले थे और 79 लोगों की मौत हुई थी।
चौथी लहर : 13 अप्रैल 2021 (गर्मी की दस्तक) से मामले बढना शुरू हुए और 20 अप्रैल को 28395 मामले एक दिन में मिले थे।