छोटे शहरों के मुकाबले महानगरों में वर्क फ्रॉम होम ज्यादा पसंद, 71 फीसदी बड़े शहरों के और 47 फीसदी छोटे शहरों के WFH से संतुष्ट
कोरोना संकट ने काम करने के तरीके को बदल दिया है। बहुत ही कम समय में हम फिजिकल से वर्चुअल और फिर हाइब्रिड वर्किंग की ओर बढ़ चले हैं। जैसे ही दूसरी लहर फिर से उभरी, हम में से कई लोगों ने वर्चुअल तरीकों को फिर से अपनाया है।
इसको लेकर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि बड़े शहरों के कर्मचारी घर से काम यानी वर्क फ्रॉम होम से ज्यादा संतुष्ट है। इसमें यह बात भी सामने आई है कि वर्क फ्रॉम होम सुविधाजनक है लेकिन इसमें कर्मचारियों को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
काम की उत्पादकता बढ़ी
सर्वे के मुताबिक उत्साहजनक संकेत यह है कि 70% से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि घर से काम करते समय उनकी उत्पादकता समान रही या उनमें सुधार हुआ। महानगरों के केवल 4% कर्मचारी और छोटे शहरों के 6% उत्तरदाता वर्क फ़्रॉम होम से असंतुष्ट थे। भारतीय सर्वेक्षण किया है। सर्वे के लिए नमूना समूहों में , महानगरों और छोटे शहरों से संबंधित कर्मचारियों से, सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार, ई-कॉमर्स और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे विविध उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों पर शोध किया गया है।
घर के काम के लिए भी मिले समय
34% उत्तरदाताओं को घर के कामों पर समय बिताने की जरूरत है, परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए समान संख्या में उपस्थित होना पड़ता है। उम्मीद अनुसार यह मुद्दा महिलाओं के लिए बड़ा है (43% उत्तरदाताओं से 29% पुरुष उत्तरदाताओं तक)। लिंग विशिष्ट पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए लचीला कार्य समय निर्धारित करने की आवश्यकता है। 26% उत्तरदाता बहुत अधिक वीडियो कॉल से परेशान थे। 36% उत्तरदाताओं को घर में जगह की कमी की समस्या का सामना करना पड़ा। वर्क फ्रॉम होम के परिदृश्य में असंतोष को बढ़ाने वाले ये प्रमुख कारक हैं। कंपनियों को काम करने के ऐसे तरीकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, जिसमें कर्मचारी अपने सहयोगियों को उनके सुविधाजनक समय के अनुसार जवाब दे सकें।
नौकरी छूटने का सता रहा डर
वर्क फ्रॉम होम को कम उत्पादक नहीं माना जाता है इसके बावजूद 60% उत्तरदाताओं को इसके कारण नौकरी छूटने की आशंका है। छोटे शहरों (52%) की तुलना में महानगरों (66%) में नौकरी छूटने का डर अधिक स्पष्ट था।
हाइब्रिड वर्किंग का है भविष्य
हाइब्रिड मोड (आंशिक वर्क फ्रॉम ऑफिस ) को 52% ने चुना है। तीन में से एक उत्तरदाताओं ने 100% वर्क फ्रॉम ऑफिस को चुना जबकि 16% ने हर समय वर्क फ्रॉम होम को प्राथमिकता दी। जो लोग हाइब्रिड वर्किंग पसंद करते हैं, उनमें से 41% ने सप्ताह में तीन दिन ऑफिस से काम करना पसंद किया, जबकि 25% ने दो दिन का ऑफिस वर्क चुना। चुनिंदा दिनों में कार्यालय के काम को चुनने का मुख्य कारण बैठकों में भाग लेना या कार्यस्थल पर भौतिक दस्तावेजों तक पहुंचना था। जेरी जोस, हेड- ह्यूमन रिसोर्सेज, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस ने कहा सर्वेक्षण ने हाइब्रिड वर्क मॉडल को अपनाने की हमारी अपनी यात्रा में सहायता करने में बहुत आवश्यक अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डाला है, जिसमें 50% कर्मचारी लंबे समय में गैर-कार्यालय स्थान से काम करेंगे।