छह से आठ तक की भी क्लास शुरू, सहमति पत्र लेकर स्कूल पहुंचे बच्चे
उत्तर प्रदेश में कक्षा 6 से आठ तक कि कक्षाएं भी शुरू हो गईं। इस दौरान राजधानी के सरकारी परिषदीय विद्यालय व निजी स्कूलों में कोविड प्रोटोकॉल को लेकर जारी एसओपी का भी पालन होता दिखा।
कोरोना काल के बाद से बंद चल रहे स्कूल बुधवार से गुलज़ार हो उठे। कक्षा 6 से आठ तक कि कक्षाएं भी शुरू हो गईं। इस दौरान राजधानी के सरकारी परिषदीय विद्यालय व निजी स्कूलों में कोविड प्रोटोकॉल को लेकर जारी एसओपी का भी पालन होता दिखा। इस दौरान बच्चे अभिभावकों का सहमति पत्र लेकर स्कूल पहुंचे। वहीं नेशनल इंटर कॉलेज में जिन बच्चों के पास उनके पास अभिभावक की ओर से सहमति पत्र नहीं था उन्हें वापस कर दिया गया। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के स्टेट प्रेसिडेंट अनिल अग्रवाल ने कहा कि निजी स्कूल सरकार की ओर से जारी एसओपी का पूरा पालन कर रहे हैं। लगभग सभी निजी स्कूल इस स्थिति में हैं कि रोजाना बच्चों को पढ़ाई के लिए बुलाया जा सकता है। सभी बच्चों को रोज स्कूल आने के लिए कहा गया है। प्रवेश और निकासी के लिए अलग-अलग द्वार बनाए गए हैं। सैनिटाइजेशन और हैंड वॉश की व्यवस्था की गई है।
कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए भी सिटी मोन्टेसरी स्कूल के सभी जूनियर कैम्पसों (जापलिंग रोड, अलीगंज द्वितीय कैम्पस, राजेन्द्र नगर द्वितीय कैम्पस तथा राजाजीपुरम द्वितीय कैम्पस) आज से खुल गए हैं। सीनियर क्लास कैम्पसों में आई.सी.एस.ई. एवं आई.एस.सी. के चल रहे प्री-बोर्ड परीक्षाओं के कारण इन कैम्पसों में 15 फरवरी से कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे अपने अभिभावकों की सहमति से विद्यालय आकर पढ़ाई करेंगे। अभी तक जिन जूनियर कैम्पसों को 10 फरवरी से खोला गया है, वहां के 50 प्रतिशत से अधिक अभिभावकों ने अपनी सहमति दे दी है।
बीएसए दिनेश कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण को लेकर जारी प्रोटोकॉल व दिशा निर्देशों के तहत बच्चों को कक्षा में बिठाने के संबंध में शिक्षकों को दिशा निर्देश पहले से दिए गए थे। खंड शिक्षा अधिकारियों को निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति से अवगत कराते रहने को कहा गया है।
सीएमएस के प्रवक्ता ऋषि खन्ना ने बताया कि सभी कैम्पसों में कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा जारी किये गये सभी दिशा-निर्दशों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित किया गया है। सभी कैम्पसों को पूरी तरह से सैनेटाइज करवाने के साथ ही कोविड हेल्प डेस्क की भी बनाया गया है। कक्षाओं में बच्चों को बैठने के लिए शारीरिक दूरी का पूरी तरह से ध्यान रखा गया है।