झारखंड कैबिनेट का बड़ा फैसला: नियुक्ति नियमावली को मिली मंजूरी, राज्य से दसवीं-बारहवीं करने पर ही मिलेगी नौकरी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को प्रोजेक्ट भवन में हुई कैबिनेट की बैठक में परीक्षा संचालन की पांच नियमावली को सरल करने के साथ तीन नई नियुक्ति नियमावली का गठन के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। इसके तहत अब अभ्यर्थियों को झारखंड के स्थानीय रीति, रिवाज, भाषा एवं परिवेश का ज्ञान होना अनिवार्य किया गया है।

झारखंड कैबिनेट का बड़ा फैसला: नियुक्ति नियमावली को मिली मंजूरी, राज्य से दसवीं-बारहवीं करने पर ही मिलेगी नौकरी

मैट्रिक स्तरीय परीक्षा संचालन नियमावली के अंतर्गत अभ्यर्थियों की न्यूनतम शैक्षणिक अहर्ता में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि अब अभ्यर्थियों का झारखंड में अवस्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों से न्यूनतम मैट्रिक, दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है, लेकिन यह कि झारखंड राज्य की आरक्षण नीति से अच्छादित अभ्यर्थियों और अनुकंपा के मामले में झारखंड राज्य में अवस्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से 10वीं-मैट्रिक कक्षा उत्तीर्ण होने से संबंधित प्रावधान शिथिल रहेंगे। 

पहले केवल मैट्रिक दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य था, अब झारखंड में स्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से मैट्रिक-दसवीं पास होना अनिवार्य किया गया है। सरकार ने ऐसा स्थानीय युवाओं को वरीयता देने के लिए किया गया है। यह संशोधन पांचों परीक्षा संचालन नियमावली और नई नियुक्ति नियमावली में किया गया है। कैबिनेट और कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी मीडिया को दी। 

उन्होंने बताया कि पूर्व से ही कर्मचारी चयन आयोग द्वारा यह संशोधन किया गया था कि मैट्रिक और इंटर स्तर पर प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की जगह केवल मुख्य परीक्षा होगी। अब कार्मिक विभाग की ओर से पांचों परीक्षा संचालन नियमावली के तहत यह प्रावधान किया गया है कि स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी प्रारंभिक परीक्षा को समाप्त करते हुए सभी परीक्षाओं के लिए केवल एक चरण में मुख्य परीक्षा लेने का प्रावधान किया गया है। 

कार्मिक विभाग की पांच परीक्षा संचालन नियमावली और तीन नई नियुक्ति नियमावली गठन का सारांश

पहला पत्र: भाषा ज्ञान के अंतर्गत हिंदी और अंग्रेजी में क्वालीफाइंग मार्क्स लाना होता था। इसमें संशोधन यह किया गया है कि अब उत्तीर्ण होने के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्राप्त अंकों को जोड़कर 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करना निर्धारित किया गया है। पहले अलग-अलग 30 फीसदी अंक क्वालीफाइंग मार्क निर्धारित था। लेकिन, इस पत्र में प्राप्त अंक को मेधा सूची निर्धारण के लिए नहीं जोड़ा जाएगा। 

चिन्हित क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में संशोधन करते हुए राज्य स्तरीय पदों के लिए 12 भाषायें निर्धारित की गई हैं। इनमें उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुदुक, खोटा, नागपुरी, उड़िया, पंच परगनिया और कुरमाली को शामिल किया गया है। किसी एक भाषा का विकल्प चुनना होगा। दूसरी ओर जिला स्तरीय पदों के लिए कार्मिक विभाग क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं को चिह्नित करके अलग से सूची जारी करेगा।

दूसरा पत्र: चिन्हित क्षेत्रीय जनजातीय भाषा में 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

तीसरा पत्र: सामान्य ज्ञान में भी 30 फीसदी अंक प्राप्त करना होगा।

नोट: दूसरे और तीसरे पत्र में प्राप्त अंकों को जोड़कर समेकित अंकों के आधार पर मेधा सूची का निर्धारण किया जाएगा।

नेट उत्तीर्ण और पीएचडी शिक्षक भी रखे जायेंगे 

उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत विश्वविद्यालयों के स्नाकोत्तर विभागों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षण कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए स्वीकृत पदों के विरुद्ध रिक्त पदों पर घटी आधारित शिक्षकों की संविदा पर नियुक्त शिक्षकों एवं कर्मियों को मानदेय भुगतान के संबंध में जारी संकल्प में संशोधन किया गया है। अब तक स्नाकोत्तर में पढ़ाई के लिए स्नाकोत्तर विभाग के सेवा निवृत शिक्षकों को रखने का प्रावधान था। 

इससे पर्याप्त संख्या में शिक्षक मिलने में कठिनाई को देखते हुए स्नाकोत्तर विभाग के सेवा निवृत शिक्षकों को रखने के अतिरिक्त यूजीसी नेट से उत्तीर्ण और पीएचडी योग्यताधारी शिक्षकों को घंटी आधारित संविदा पर नियुक्ति किया जा सकेगा। इन्हें 36 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा। 

कंप्यूटर पर 300 की जगह 250 शब्द लिखने की छूट

कार्मिक विभाग की परीक्षा को सरल करते हुए झारखंड लिपिक सेवा संवर्ग नियमावली 2010 के अंतर्गत जारी अधिसूचना में संशोधन किया गया है। अब कंप्यूटर पर टंकन की गति 30 शब्द प्रति मिनट के हिसाब से 300 शब्द टंकित करने की जगह 25 शब्द की गति से 10 मिनट में 250 शब्द लिखना होगा। 1.5 प्रतिशत की जगह अब दो फीसदी त्रुटि से अधिक नहीं होनी चाहिए।