डेल्टा प्लस वेरिएट: हेमंत सरकार की बढ़ी टेंशन, इन 12 राज्यों ने आने वाले लोगों पर रखी जाएगी नजर, जानें कैसी है तैयारी

कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेवार डेल्टा म्यूटेंट का नया रूप डेल्टा प्लस की पड़ोसी राज्य उड़ीसा में उपस्थिति ने झारखंड सरकार की चिंता बढ़ा दी है। महज चार दिनों में डेल्टा प्लस के मामले चार राज्यों से बढ़कर 12 राज्यों तक पहुंच चुके हैं। इसे देखते हुए झारखंड में सख्ती बढ़ा दी गयी है।

डेल्टा प्लस वेरिएट: हेमंत सरकार की बढ़ी टेंशन, इन 12 राज्यों ने आने वाले लोगों पर रखी जाएगी नजर, जानें कैसी है तैयारी

अब डेल्टा प्लस की उपस्थिति वाले सभी 12 राज्यों उड़ीसा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और जम्मू कश्मीर से झारखंड आने वाले लोगों पर सरकार की पैनी नजर होगी। इन राज्यों से झारखंड आने वाले सभी यात्रियों की शत प्रतिशत कोविड जांच की जाएगी। 

कोविड जांच में पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों को निश्चित रूप से कोविड केयर सेंटर में ही भर्ती किया जाएगा। उन्हें किसी भी सूरत में घर जाने की अनुमति नहीं होगी। पॉजिटिव मरीजों की सघन कांटैक्ट ट्रेसिंग करते हुए संपर्कों की जांच कराई जाएगी। 

साथ ही डेल्टा प्लस म्यूटेंट का पता लगाने के लिए पॉजिटिव पाए गए मरीजों के सैंपल 24 घंटे के अंदर होल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आईएलएस, भुवनेश्वर भेजे जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने राज्य के सभी उपायुक्तों को इस बाबत निर्देश जारी किया है।

हर माह कम से कम 300 सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग
डेल्टा प्लस म्यूटेंट के संक्रमण के किसी भी संभावना ने निबटने के लिए अपर मुख्य सचिव ने राज्य में जीनोम सिक्वेंसिंग की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है। इसके लिए रांची, धनबाद, जमशेदपुर, दुमका, हजारीबाग व पलामू स्थित मेडिकल कॉलेजों के अलावा आईआरएल, इटकी एवं टीएमएच, जमशेदपुर में संचालित आरटीपीसीआर लैब को सेंटिनल साईट बनाया गया है। सचिव ने कहा है हर एक सेंटिनल साईट से हर 15 दिनों में कम से कम 15 सैंपल (पॉजिटिव रिपोर्ट जिसका सीटी वैल्यू 25 या उससे कम) जबकि, राज्य से कम से कम 300 सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आईएलएस, भुवनेश्वर जरूर भेजे जाएं। 

राज्य के 62 प्रतिशत सैंपल में मिले हैं डेल्टा वैरिएंट
राज्य में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान (अप्रैल से 9 जून 2021) जिनोम सीक्‍वेंसिंग के लिए 364 सैंपल भुवनेश्वर भेजे गए थे। इसमें से 90 प्रतिशत यानी 328 सैंपल में डेल्टा, कप्पा, अल्फा समेत आठ म्यूटेंट मिले थे। सबसे चिंता की बात यह है कि 362 में से 62.19 प्रतिशत (204) सैंपल में डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है।

पांच जिलों रांची, जमशेदरपुर, धनबाद, हजारीबाग और पलामू से भेजे गए 328 सैंपल में से 204 में डेल्टा, 63 में कप्पा, 29 में अल्फा और 32 में अन्य वेरिएंट मिले हैं। डेल्टा वैरिएंट के मामले सबसे ज्यादा जमशेदपुर में 86, हजारीबाग में 39, धनबाद में 32, रांची में 26 व पलामू में 21 मामले मिले हैं। 

दूसरी लहर में भेजे गए 731 सैंपल
राज्य से दूसरी लहर में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए महज 731 सैंपल आईएलएस भुवनेश्वर भेजे गए है। ये सैंपल 28 मार्च से 15 जून के बीच के सैंपल हैं।  फिलहाल जीनोम सिक्वेंसिंग में लगभग एक माह का समय लगता है। जबकि, पहले और ज्यादा समय लगता था। 

रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग की तैयारी
जीनोम सिक्वेंसिंग में हो रही विलंब को लेकर राज्य में ही इसकी सुविधा रिम्स में शुरू करने की पहल काफी पहले की गयी थी। स्वास्थ्य विभाग को जीनोम सिक्वेंसिंग की मशीन उपलब्ध कराने को लेकर आईसीएमआर पत्र भेजा जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग के वरीय आईईसी प्रभारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि जल्द ही राज्य में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा शुरू हो जाएगी।