दिल्ली : अनसुलझी पहेली बने पोस्ट कोविड लक्षण, अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की तादाद
अब तक कई मामले डॉक्टरों के लिए बने रहस्य, प्राइवेट में सबसे ज्यादा मरीज कोरोना निगेटिव होने के एक महीने बाद न उतरा बुखार, किडनी और फेफड़े तक प्रभावित दिल्ली के ज्यादातर आईसीयू में सबसे ज्यादा पोस्ट कोविड ही मरीज
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30 वर्षीय विवेक सचेदवा करोल बाग में ऑटोमोबाइल व्यापारी हैं। दूसरी लहर में उनका पूरा परिवार संक्रमित हुआ। सात सदस्यों के इस परिवार में तीन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है। विवेक इन दिनों राजेंद्र प्लेस स्थित बीएलके अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं। पिछले 12 दिन से डॉक्टरों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर विवेक को परेशानी क्या है? उनका बुखार लगातार 100 डिग्री के आसपास है। एचआर सीटी से लेकर अन्य तमाम जांच कराई जा चुकी हैं, लेकिन कारण अब तक स्पष्ट नहीं है। फेफड़ों पर वायरस की मौजूदगी नहीं मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि यह पोस्ट कोविड मामला है।
ठीक इसी तरह 28 वर्षीय जुनैद और 35 वर्षीय विकास कुमार इन दिनों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती हैं। दोनों ही मरीज पोस्ट कोविड से संबंधित हैं। जुनैद संक्रमण से ठीक हो गए, लेकिन उन्हें पल्मोनरी फ्राइब्रोसिस हो गया। विकास कुमार को लिवर में पस और किडनी के सही कार्य न करने के चलते डायलिसिस दिया जा रहा है।
पोस्ट कोविड मामलों को लेकर जब ‘अमर उजाला’ ने राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों से संपर्क किया तो पता चला कि ज्यादातर बड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इन दिनों सबसे ज्यादा आईसीयू मरीज पोस्ट कोविड से जुड़े हैं। महीनेभर बाद किसी को सांस लेने में राहत नहीं है तो किसी को बुखार या पेट दर्द की शिकायत है। कई लोग ऐसे भी हैं जिनमें तनाव, चिंता और डर जैसे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षण भी हैं।
सरकारी अस्पतालों की बात करें तो एम्स में 82, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में 12, आरएमएल अस्पताल में 76 मरीज भर्ती हैं। इनके अलावा अपोलो, मैक्स साकेत, फोर्टिस और बीएलके सहित बड़े प्राइवेट अस्पतालों में 300 से अधिक पोस्ट कोविड मामले हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर मरीजों का ऑक्सीजन स्तर भी सुधर चुका है और कोरोना रिपोर्ट निगेटिव है, लेकिन लक्षण काफी अजीब हैं, जिन्हें आसानी से समझ पाना काफी जटिल है।
एक ही मरीज में कई लक्षण
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि पोस्ट कोविड मामले काफी चुनौतियां लेकर सामने आए हैं। डॉ. करन मदान ने बताया कि पल्मोनरी के मामलों में एक ही मरीज में कई लक्षण मिल रहे हैं। कई बार जांच कराने के बाद भी सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। वहीं, सफदरजंग अस्पताल के डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि उनके यहां चार ऐसे मरीज हैं जिनमें अब तक सही कारण पता नहीं चला है। इन मरीजों के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि किसी भी तरह परेशानी पता चल सके।
पुरानी बीमारियों को गंभीर बना रहा वायरस
नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. अमित ने बताया कि उनके यहां कई मामले पोस्ट कोविड से जुड़े हैं। अब तक उन्होंने एक अहम बात पर गौर किया है कि जिन लोगों में कोरोना संक्रमण गंभीर हुआ और उन्हें बचा लिया गया, ऐसे मरीज कुछ दिन बाद फिर भर्ती हुए हैं। इनमें संक्रमण से पहले मधुमेह या फिर उच्च रक्तचाप या कैंसर तक कहीं छिपा हुआ था जो अब गंभीर बनकर सामने आया है।
जांच में कुछ नहीं, लेकिन मरीज को परेशानी
पोस्ट कोविड के दौरान कई मामले ऐसे भी अब मिल रहे हैं कि मरीज परेशान हैं। अस्पताल में जांच के दौरान कुछ भी नहीं मिला। डॉक्टरों के लिए वह मरीज नहीं हैं, लेकिन उक्त व्यक्ति को महसूस हो रहा है कि उसे परेशानी है। वह पहले जैसा खुद को स्वस्थ्य महसूस नहीं कर पा रहा है। ऐसे मामलों में मनोचिकित्सक ओपी शर्मा यही सलाह देते हैं कि इन मरीजों को पर्याप्त काउंसलिंग की आवश्यकता है। बगैर काउंसलिंग लिए यह और अधिक डर में जा सकते हैं।