दिल्ली: गुरुद्वारे को बंद करने का आदेश वापस लिया गया, श्रद्धालुओं के आने-जाने पर रोक

कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने की वजह से डीडीएम ने दिया था बंद करने का आदेश धार्मिक स्थल सिर्फ खोलने का आदेश, श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है:डीडीएमए

दिल्ली: गुरुद्वारे को बंद करने का आदेश वापस लिया गया, श्रद्धालुओं के आने-जाने पर रोक

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कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए स्थानीय प्रशासन ने सख्ती बरत रहा है। बाजार के बाद धार्मिक स्थलों पर भी एसडीएम कार्यालय की नजर है। डीडीएमए ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्थलों को खोल कर पूजा-अर्चना की अनुमति तो है, लेकिन श्रद्धालुओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है। इस आदेश के बावजूद जब दिक्षिणी दिल्ली के गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी तो गुरुद्वारा प्रशासन को बंद करने का निर्देश तक जारी किया गया। हालांकि सिख संगठनों के दबाव में इस निर्णय को सख्त हिदायत के बाद वापस ले लिया गया है।


डीडीएमए ने अपने गाइड-लाइन में साफ किया है कि धार्मिक स्थल सिर्फ खोलने की इजाजत दी गई है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च में श्रद्धालु पहुंचे तो प्रशासन पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। उधर गुरुद्वारा बंद करने के आदेश जैसे ही सोमवार रात को गुरुद्वारा प्रशासन को मिला तो मंगलवार सुबह के वक्त गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं के आने-जाने पर रोक लगा दी गई। 


लेकिन इसे लेकर सिख संगठन सक्रिय हो गए। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हरविंदर सिंह सरना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा कि दक्षिणी दिल्ली के 6 गुरुद्वारों के प्रबंधको को जारी नोटिस वापस लिया जाए। वसंत विहार एसडीएम द्वारा जारी आदेश पर आपत्ति जताई गई। कहा कि गुरुद्वारों में खूबसूरती के साथ सभी नियमों का पालन किया जाता है।
जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा कि आदेश में यह कहना कि गुरुद्वारा साहिब में श्रद्धालुओं का प्रवेश हुआ तो उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की जाएगी। 

सील कर दिए जाने की चेतावनी देना एकतरफा लिया गया फैसला है। उधर, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्वीट कर नाराजगी व्यक्त की। कहा कि इस तरह का नियम हर धार्मिक केंद्र के लिए होना चाहिए। सिर्फ गुरुद्वारे को बंद करने का आदेश देना गलत व दिल्ली सरकार का फैसला एकतरफा है। इस फैसले को वापस ले सरकार।