दिल्ली दंगों के दौरान हर साजिश में हमराह थे उमर खालिद और ताहिर हुसैन

आरोपपत्र के मुताबिक ताहिर हुसैन और उमर खालिद ने आठ जनवरी 2020 को ही शाहीन बाग में दंगे की प्रारंभिक भूमिका रची थी। इसके बाद 16-17 फरवरी को दोनों के बीच फिर से दंगा भड़काने को लेकर षड्यंत्र रचा गया। इसमें साजिश को अंतिम रूप दिया गया।

दिल्ली दंगों के दौरान हर साजिश में हमराह थे उमर खालिद और ताहिर हुसैन

फरवरी 2002 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की हर साजिश में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र उमर खालिद और आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन साथ-साथ थे। दोनों शाहीन बाग से लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली तक हो रहे प्रदर्शनों का प्रतिदिन का एजेंडा तय करते थे। जनवरी में ही तय कर लिया था कि राम जन्मभूमि और अनुच्छेद 370 के मुद्दे को नहीं छेड़ा जाएगा। साथ ही यह भी तय हुआ था कि आंदोलन को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वापस कराने पर केंद्रित कर दंगे तक पहुंचाना है, क्योंकि मजहब खतरे में है।

दिल्ली दंगे के दौरान खजूरी खास इलाके में हुई हिंसा के मामले में दायर पूरक आरोपपत्र में इस तरह की कई बातें सामने आई हैं, जो आरोपितों के खतरनाक इरादों को जाहिर करती हैं। आरोपपत्र के मुताबिक ताहिर हुसैन और उमर खालिद ने आठ जनवरी, 2020 को ही शाहीन बाग में दंगे की प्रारंभिक भूमिका रची थी। इसके बाद 16-17 फरवरी को दोनों के बीच फिर से दंगा भड़काने को लेकर षड्यंत्र रचा गया। इसमें साजिश को अंतिम रूप दिया गया। उसी वक्त कहा गया था कि जरूरत पड़ने पर पेट्रोल और तेजाब बम का प्रयोग किया जा सकता है। अलग-अलग जगहों पर साजो-सामान जुटा कर आंदोलन को उग्र रूप देने की तैयारी की जा रही थी।

उमर दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर सीएए के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लेकर लोगों को उकसा रहा था। यहां उसने सरकार और राष्ट्र विरोधी बातें कहीं। इंटरनेट मीडिया और वाट्सएप ग्रुप के जरिये पूरी मुहिम की निगरानी की गई। मालूम हो कि दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। दंगे से जुड़े कई मामलों में ताहिर व उमर आरोपित हैं। दोनों पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत केस दर्ज है।