मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने से सरकार का कामकाज ठप, जदयू को अब भी भाजपा के पेच सुलझने का इंतजार

कैबिनेट विस्‍तार नहीं होने के कारण सरकार के कामकाज पर बुरा असर पड़ रहा । एक-एक मंत्री के पास कई-कई विभाग हैं। अब तो बजट सत्र की तारीख भी तय हो गई फिर भी मंत्रिमंडल विस्तार का मुद्दा नहीं सुलझ रहा। पढि़ए मंत्रिमंडल विस्‍तार के दांव-पेंच पर एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट

मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने से सरकार का कामकाज ठप, जदयू को अब भी भाजपा के पेच सुलझने का इंतजार

खरमास  के बाद (after 14 January) भी मंत्रिमंडल विस्तार (Bihar Cabinet Expansion) में अभी बहुत सारे पेच नजर आ रहे हैं। जदयू (JDU) की ओर से सारी चीजें स्पष्ट कर दी गई हैं। भाजपा (BJP) की कवायद भी जारी है, मगर निष्कर्ष पर पहुंचने में अभी कई मोड़ से गुजरना बाकी है। जदयू को भाजपा के इस पेच के सुलझने का इंतजार है। किंतु मंत्रिमंडल विस्तार में देर होने का साइड इफेक्ट सरकार के कामकाज (side effect on govt working ) पर दिख रहा है।

पांच महीने से सरकार के कार्य को रफ्तार नहीं

कई विभागों (Bihar Govt Departments) के कामकाज में व्यवधान (hassel) आ रहा है। संवैधानिक नियमों के तहत बिहार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। अभी मात्र 14 मंत्री हैं, जबकि विभागों की कुल संख्या 44 है। जाहिर है, एक-एक मंत्री के पास कई-कई विभाग हैं, जिसके चलते वे अपने विभागों में बैठ भी नहीं पा रहे हैं। काम की बात तो दूर है। कुछ विभाग तो ऐसे भी हैं, जहां अभी तक मंत्री के कदम भी नहीं पड़े हैं।

मंत्रिमंडल विस्तार के टलने के कारण पिछले करीब पांच महीने से सरकार के कार्यों को रफ्तार नहीं मिल सकी है। विधानसभा चुनाव के दो महीने पहले से ही आचार संहिता के कारण काम प्रभावित रहे। अब नई सरकार के गठन के भी दो महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार बार-बार टल रहा है। पेंच भाजपा की तरफ से है। उसने अभी तक संभावित मंत्रियों की सूची मुख्यमंत्री को नहीं सौंपी है। जदयू की ओर से नीतीश कुमार ने कई बार साफ कर दिया है कि सहयोगी दल की तरफ से जब भी सूची आएगी, मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा।

बजट सत्र में आ सकती है दिक्कत

19 फरवरी से बिहार विधानमंडल का बजट सत्र (Budget Session) शुरू होने वाला है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (leader of opposition Tejashwi Yadav) ने पहले ही संकेत दे दिया है कि विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की पूरी तैयारी है। ऐसे में सदन में एक ही मंत्री को कई-कई विभागों से संबंधित सवालों को जवाब देना होगा। यह असंवैधानिक (unconstitutional) तो नहीं होगा पर इसकी व्यावहारिकता (Practicality) पर सवाल उठना लाजिमी है। बजट सत्र के शुरू होने से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार कर भी लिया जाएगा तो भी दूसरी समस्या आएगी। नए मंत्रियों के पास सदन की तैयारी के लिए बहुत कम समय होगा। दस-पांच दिन में विभागों की पूरी जानकारी जुटा पाना संभव नहीं होगा।

जदयू के फार्मूला पर अब बीजेपी का दावा

भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव (Bihar In-charge of BJP Bhupendra Yadav) और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल (BJP State President Dr. Sanjay Jaiswal) ने किसी पेच से इन्कार करते रहे हैं। पहले वह कई बार कह चुके हैं खरमास के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा। अब वह भी हो चुका। फिर भी लटक रहा है तो साफ है कि प्रदेश नेतृत्व के लिए मामला इतना आसान नहीं है। सूत्रों का मानना है कि जदयू के साथ संख्या को लेकर भी अभी स्थिति साफ नहीं है। ज्यादा से ज्यादा अभी 22 मंत्रियों को जगह मिल सकती है। गठबंधन में भाजपा बड़ी पार्टी है। विधायकों की संख्या के हिसाब से वह जदयू से ज्यादा मंत्री पद रखना चाह रही है। यह जदयू का फार्मूला था, जिसपर अब भाजपा का दावा है।