यूरेनियम मामले की जांच में बोकारो पंहुची सेंट्रल आईबी और झारखंड एटीएस की टीम

यूरेनियम बरामदगी के बाद शुक्रवार को भी बोकारो में जांच एजेंसियों की गहमागहमी बनी रही। शुक्रवार को सेंट्रल इंटेलीजेंस ब्यूरो (सेंट्रल आईबी) एवं झारखण्ड़ एटीएस की टीम बोकारो पंहुची। बोकारो पुलिस के साथ टीम ने जरीडीह, बालीडीह, चास एवं हरला थाना क्षेत्र में जाकर यूरेनियम बरामदगी से संबंधित जानकारी एकत्र की। वहीं बरामद यूरेनियम का निरीक्षण भी किया।

यूरेनियम मामले की जांच में बोकारो पंहुची सेंट्रल आईबी और झारखंड एटीएस की टीम

राष्ट्रीय जांच एजेंसी भी किसी वक्त केस को टेकअप कर सकती है। चूकी यूरेनियम का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, ऐसे में इस बिंदु पर तहकीकात जरूरी है कि बोकारो में बरामद यूरेनियम कहां से लाया गया और कहां पहुंचाया जाना था। इसका मुख्य उद्देश्य क्या है। इन अनसुलझे पहलुओं पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी जांच के बाद खुलासा करेगी। अब तक की जांच में यह बात छनकर सामने आई है कि बोकारो में बरामद मेजेर मिनरल्स की कोई उपयोगिता नही है। ऐसे में मामला सिर्फ स्मगलिंग की ओर इशारा करती है।

इधर बोकारो पुलिस ने मामले में पश्चिम बंगाल के पुरूलिया पुलिस व झारखंड के गिरीडीह पुलिस के साथ मिलकर फरार तस्करो की तलाश में जुटी हुई है। भारत सरकार की इंटेलिजेंस ब्यूरो इस बात की तहकीकात कर रही है कि बरामद यूरेनियम का इंटरनेशनल कनेक्शन क्या है। बॉर्डर एरिया से हजारों मील दूर बोकारो को यूरेनियम का डंपिंग यार्ड क्यो बनाया गया।

कोर्ट से जांच का आदेश : यूरेनियम बरामदगी के मामले में हरला पुलिस कोर्ट से बरामद पदार्थ के एक्सपर्ट से जांच की अनुमति मांगेगी। इस दिशा में हरला पुलिस कानूनी प्रक्रिया पूरी करने में जुटी हुई है। जांच के बाद यह स्पष्ट हो पायेगा की बरामद पदार्थ यूरेनियम है या नही, अगर है तो उसकी तीब्रता कितनी है। अभी गिरफ्तार आरोपियों व प्रारंभिक जांच के आधार पर बरामद पदार्थ को रेडियो एक्टिव मेजेर मिनरल्स यूरेनियम माना जा रहा है। एक्सपर्ट की जांच के उपरांत इस बात पर तकनीकी तौर पर मुहर लग जायेगी। इस संबंध में पुलिस जल्द अदालत में अर्जी देगी।

धनबाद-जादूगोड़ा में जांच संभव: जानकार बताते है कि यूरेनियम एक मिनरल्स है, जिसे आइएसएम धनबाद व जादूगोड़ा स्थित यूसीआईएल लैब के मेट्रोलोजिकल विभाग में परखा जा सकता है। लेकिन यह कोर्ट के अनुमति के बाद ही संभव है।