रिवर फ्रंट घोटाला: सीबीआई के सामने आठ सौ टेंडर फाइल खंगालने के बाद अब कमीशनखोरी की चेन तलाशने की चुनौती
गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में कई विभागों ने मिलकर काम किया था। अलग अलग कामों के लिए लगभग 800 टेंडर किए गए थे। ऐसे में सभी विभागों से दस्तावेज उपलब्ध होना, टेंडर के सारे दस्तावेज इकट्ठा करना व उनकी पड़ताल में समय लगना स्वाभाविक है।
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साढ़े तीन साल में 800 से अधिक टेंडर फाइलों को खंगालने के बाद की गई कार्रवाई में बरामद दस्तावेजों से कमीशन खोरी की चेन तलाशने की चुनौती सीबीआई के सामने है। दो दिनों तक 49 स्थानों पर चले छापे में सीबीआई को ऐसे-ऐसे दस्तावेज हाथ लगे हैं जिनके तार कई बड़े अफसरों से जुड़े होने की बात कही जा रही है। अब इन्हीं दस्तावेजों के सहारे सीबीआई पता लगाएगी कि कमीशन का खेल किस स्तर पर खेला गया।
सूत्रों का कहना है कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में कई विभागों ने मिलकर काम किया था। अलग अलग कामों के लिए लगभग 800 टेंडर किए गए थे। ऐसे में सभी विभागों से दस्तावेज उपलब्ध होना, टेंडर के सारे दस्तावेज इकट्ठा करना व उनकी पड़ताल में समय लगना स्वाभाविक है। इसके अलावा इस परियोजना की जांच सुरेश खन्ना समिति और न्यायिक समिति ने की थी।
इन दोनों जांच की रिपोर्ट भी हजारों पन्नों में थी, जिसका पूरा ब्यौरा जुटाने के बाद सीबीआई ने अलग अलग राज्यों समेत 49 स्थानों पर छापे मारे थे। सीबीआई की पहली एफआईआर में आठ इंजीनियरों के खिलाफ केस दर्ज हैं।
लगभग 1500 करोड़ रुपये की गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में पहली एफआईआर लखनऊ के गोमतीनगर में 19 जून 2017 को दर्ज की गई थी। इस एफआईआर में गुलेश चंद्र, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिव मंगल, अखिल रमन, कमलेश्वर, रूप सिंह यादव और सुरेंद्र यादव का नाम शामिल है।
17 जुलाई को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए प्रदेश सरकार ने लिखा था। सीबीआई ने 24 नवंबर को जांच स्वीकार करते हुए अधिसूचना जारी की और 30 नवंबर को उक्त एफआईआर को आधार बनाकर अपने यहां एफआईआर दर्ज की थी। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अभी कुछ और एफआईआर दर्ज होगी। फिलहाल सीबीआई इस परियोजना में दखल रखने वाले बड़े अफसरों की भूमिका तलाश रही है।