आर्थिक तंगी की गिरफ्त में 40 फीसदी शहरी आबादी, तीन महीने में स्थिति ज्यादा नाजुक हुई, इलाज के लिए इंस्टैंट लोन की मांग बढ़ी
कोरोना महामारी की दूसरी लहर लाखों लोगों को आर्थिक तंगी की गिरफ्त में ला दिया है। इस बार गांवों के मुकाबले शहरी आबादी पर ज्यादा बुरा असर देखने को मिला है। यूगोव की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी लहर के बाद पांच में से दो शहरी आबादी की आर्थिक स्थिति बिगड़ी है। यानी 40 फीसदी लोग आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
यूगोव द्वारा सर्वे में शामिल लोगों ने माना है कि बीते तीन महीने में उनकी वित्तीय स्थिति ज्यादा नाजुक हुई है। हालांकि, लोगों का मानना है कि देश में कोरोना के मामले में तेजी से सुधार हो रहा है इसके बावजूद दस में से सात लोग अपने पर्सनल फाइनेंस प्रभावित होने से चिंतित हैं। सर्वे में शामिल पांच में से दो उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी वित्तीय स्थिति पिछले तीन महीनों में खराब हुई है, जबकि लगभग एक तिहाई (32%) में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
सात में से एक (14%) को लगता है कि इस अवधि में उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है और बाकी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। सर्वे में शामिल लोगों का मानना है कि उनके वित्त को स्थिर होने में समय लग सकता है जबकि 37% सोचते हैं कि उनकी वित्तीय स्थिति निकट भविष्य में (1-6 महीनों के बीच) ठीक हो सकती है। वहीं 51% को लगता है कि इसमें अधिक समय लग सकता है (6 महीने से अधिक या एक वर्ष से अधिक) जब तक मौद्रिक मोर्चे पर ठीक नहीं होती है।
आधी कामकाजी आबादी कर्जदार
क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी (सीआईसी) की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि देश की कुल 40 करोड़ कामकाजी आबादी के करीब आधे लोग कर्जदार हैं, जिन्होंने कम से कम एक ऋण लिया है या उनके पास क्रेडिट कार्ड है। ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के मुताबिक ऋण संस्थान तेजी से नए ग्राहकों के लिहाज से संतृप्ति स्तर के करीब पहुंच रहे हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एक अनुमान के मुताबिक जनवरी 2021 तक भारत की कुल कामकाजी आबादी 40.07 करोड़ थी, जबकि खुदरा ऋण बाजार में 20 करोड़ लोगों ने किसी न किसी रूप में कर्ज लिया है। गौरतलब है कि पिछले एक दशक में बैंकों ने खुदरा ऋण को प्राथमिकता दी, लेकिन महामारी के बाद इस खंड में वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। सीआईसी के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 18-33 वर्ष की आयु के 40 करोड़ लोगों के बीच कर्ज बाजार की वृद्धि की संभावनाएं हैं और इस खंड में ऋण का प्रसार सिर्फ आठ प्रतिशत है।
दूसरी लहर ने बदला निवेश का नजरिया
पिछले 3 महीनों में आपने निम्नलिखित में से किस वित्तीय साधन में निवेश करना शुरू किया है?
माध्यम आबादी (% में)
- बीमा 28
- सावधि जमा 26
- स्वास्थ्य बीमा 25
- म्यूचुअल फंड्स 22
- शेयर बाजार 17
- क्रिप्टोकरेंसी 16
- ई-गोल्ड 13
- पीपीएफ 10
- रियल एस्टेट 10
- एनपीएस/एनएससी 8
- जवाब देना पसंद नहीं 7
- अन्य 4
- इनमे से कोई भी नहीं 26
स्रोत: यूगोव, बीते तीन माह का रुझान
इलाज के लिए इंस्टैंट लोन की मांग बढ़ी
कोरोना महामारी के बीच मोबाइल एप आधारित इंस्टैंट लोन की मांग में तेजी आई है। सिंपल कैश की ओर से किए गए सर्वे में यह जानकारी मिली है कि 30 फीसदी लोगों ने इलाज खर्च की भरपाई के लिए ऐप के जरिये इंस्टैंट लोन लिया। सिंपलीकैश के मुताबिक, पर्सनल लोन लेने वाले 31 फीसदी लोगों ने मेडिकल इमरजेंसी के लिए फंड का इस्तेमाल किया। सिम्पलीकैश द्वारा वितरित किए गए तत्काल व्यक्तिगत ऋणों का औसत टिकट आकार 1,50,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच था।
क्रेडिट कार्ड पर से लोगों का भरोसा कम हुआ
दूसरी लहर के दौरान लोगों ने क्रेडिट कार्ड का कम इस्तेमाल किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, क्रेडिट कार्ड के खर्च में महीने-दर-महीने 18% की गिरावट देखी गई। लेकिन इससे ज्यादा चिंता की बात यह है कि नए कार्ड में 47% की गिरावट आई है। यह आर्थिक मंदी की ओर इशारा कर रहा है।