कोरोना के संकट के समय भी चलती रही सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सियासत

दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार की राजनीतिक दुर्भावना की वजह से नगर निगमों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। सरकार फंड जारी करने में नियमों का पालन नहीं कर रही है।

कोरोना के संकट के समय भी चलती रही सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सियासत

नगर निगमों के बकाये फंड को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच सियासत एक साल से सुर्खियों में रही है। इस मामले में दोनों पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं, आरोप-प्रत्यारोप हैं। भाजपा आप सरकार पर नगर निगमों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाती रही है। उसका कहना है कि दिल्ली सरकार निगमों को बकाया फंड नहीं दे रही है। वहीं दूसरी ओर आप सरकार का कहना है कि नगर निगमों की वित्तीय स्थिति खराब होने के लिए खुद भाजपा जिम्मेदार है। आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने तक पहुंच गया।

भाजपा शासित तीनों नगर निगमों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। वेतन के लिए स्वास्थ्य व सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का सिलसिला नहीं टूट रहा है। कुछ दिनों पहले भी सफाई कर्मचारी हड़ताल पर थे, जिससे शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई थी। फंड के लिए निगमों के महापौर ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर 13 दिनों तक धरना दिया था। भाजपा नेता व कार्यकर्ता दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शन भी कर चुके हैं। जगह-जगह पोस्टर-बैनर भी लगाए गए थे।

आदेश गुप्ता ने कहा-सरकार की दुर्भावना से हालत बिगड़ी

दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार की राजनीतिक दुर्भावना की वजह से नगर निगमों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। सरकार फंड जारी करने में नियमों का पालन नहीं कर रही है। दावा किया कि लगभग 13 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही शुरू होने पर भी निगमों को आवंटित फंड का सिर्फ 30 फीसद ही दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं कर रही है।

भ्रष्टाचार ने बिगाड़े नगर निगम के हालात : गोपाल राय

दिल्ली सरकार के मंत्री और आप के प्रदेश संयोजक गोपाल राय का कहना है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला है, जिससे इसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। यहां तक कि सरकार द्वारा कर्मचारियों के वेतन के लिए दी जाने वाली राशि भी निगम के भाजपा नेता उन तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं। कर्मचारियों को कई माह तक वेतन नहीं मिलता है। मजबूरन कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं। आरोप लगाया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कागजों में गड़बड़ी करके घोटाला किया है। अपने वेतन से पैसे कटवाने के बाद भी सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी स्वास्थ्य सेवा के लिए भटक रहे हैं।

गोपाल राय का कहना है कि आखिर कर्मचारियों के वेतन से काटे गए पैसे किसकी जेब में गए हैं, इसकी जांच जरूरी है। भ्रष्टाचार की वजह से लोगों के जरूरी काम नहीं हो रहे हैं। इतना ही नहीं, छोटे-छोटे काम के लिए भी निगम में पैसे मांगे जा रहे हैं।