कोरोना ने तोड़ी कमर: गोल्ड लोन लेकर किराया चुकाने को मजबूर हुए कारोबारी, ICICI की एक ब्रांच ने दिया डेढ़ करोड़ का कर्ज
कोरोना काल में राज्य के कई लोगों की नौकरियां गई। दुकान बंद होने से कारोबारियों को सबसे अधिक घाटा हुआ। इससे निजात पाने के लिए लोगों ने जमकर गोल्ड लोन लिया। कर्ज लेकर कारोबारी जहां दुकान का किराया चुका रहे हैं और कर्मचारियों को वेतन दे रहे हैं। वहीं नौकरी करने वाले लोग अपना परिवार चला रहे हैं।
गोल्ड लोन लेने वालों में शहरी बैंकों के आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में राज्य में गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या दोगुनी हो गई। झारखंड चैंबर के व्यवसायियों की मानें तो इस दौरान राज्य में करीब 300 करोड़ के गोल्ड लोन लिए गए। रांची आईसीआईसीआई बैंक की सिर्फ एक ब्रांच ने जहां डेढ़ करोड़ तक के गोल्ड लोन बांटे हैं वहीं कोरोना के दौरान तीन करोड़ तक के लोन लिए गए।
व्यवसायियों का कहना है कि कोरोना काल में दुकानें बंद रहीं, इससे कैश खत्म हो गए। जिस कारण रेंट और कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए गोल्ड लोन लेना पड़ा। मुथूट फाइनेंस के तहत गोल्ड लोन देने वाले कर्मी ने बताया कि जब तक लोन टू वैल्यू आरबीआई के द्वारा बढ़ायी गई थी।
गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या बढ़ गई थी पर मार्च के बाद से फिर यह कम हो गयी है। स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के अधिकारियों ने बताया कि उनके पास गोल्ड लोन का कंपाइल डाटा नहीं होता है। यह बैंकों का अलग-अलग प्रोडक्ट है।
एलटीवी फिर 85 से 75 फीसदी किया गया
कोरोना की पहले लहर में आरबीआई के निर्देश पर एलटीवी (लोन टू वैल्यू) 75 से बढ़ाकर 85 फीसदी कर दी गयी थी। मतलब सोने की वैल्यू अगर एक लाख है तो 85 हजार लोन के रूप में दिया जा रहा था। अब मार्च 2021 के बाद से फिर से इसे 75 कर दिया गया है। मतलब एक लाख के सोने के वैल्यू पर फिर 75 हजार लोन दिया जाएगा। लोन प्रोवाइडर्स के अनुसार जब से एलटीवी कम की गई है लोन लेने वालों की संख्या फिर से घट गयी है।
कैश संकट खड़े होने से बढ़ी गोल्ड लोन की डिमांड
कोरोना काल में राज्य में कई लोगों की नौकरियां चली गयीं। कई प्रतिष्ठानों में वेतन आधे कर दिए गए। जिससे आम लोगों और व्यवसायियों के बीच कैश का संकट खड़ा हो गया। जिस कारण लोग बैंकों से सोना गिरवी रखकर कैश ले रहे हैं। ऐसा इसलिए की यह लोन आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
खाते को एनपीए बनने से बचाने को परेशान हुए व्यवसायी
व्यवसायियों ने बताया कि गोल्ड के बदले लोन तो ले लिया है। पर लोन की ईएमआई भरने तक में दिक्कत आ रही है। खाता एनपीए ना हो जाए इसके लिए हमें काफी परेशानी हो रही है। किसी तरह जुगाड़ बिठाकर व्यवसायी खाता को एनपीए होने से बचा रहे हैं।
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या शहरों के मुकाबले काफी कम है। बैंकों के अधिकारियों के अनुसार झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में गोल्ड लोन लेने वाले लोग कमाते हैं। ग्रामीण इलाकों में अभी बैंक के बजाए लोग अपने परिचितों के पास सोना रखकर पैसे लेने पर विश्वास करते हैं। ऐसे में पैसा नहीं दे पाने की स्थिति में उनका सोना जब्त हो जाता है। जबकि बैंक में ऐसा नहीं होता।
10.5 से 17 प्रतिशत पर लोन मिला
विभिन्न बैंकों में गोल्ड लोन 10.5 से 17 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया गया। सभी बैंकों की अपनी-अपनी स्कीम है। वहीं राशि के अनुसार लोन की ईएमआई तय होती है जबकि गोल्ड लोन की प्रति ग्राम दर 2हजार से तीन हजार रुपये प्रति ग्राम है। यह दर 22 कैरेट सोने का है। सोने के दर में गिरावट और चढ़ाव के अनुसार प्रति ग्राम दर में परिवर्तन होता रहता है।