जानिए- आखिर क्यों और किस लिए म्यांमार के छात्र संघों ने मांगी चीन के राष्ट्रपति से मदद
म्यांमार की 18 यूनिवर्सिटी के छात्र संघों ने मिलकर एक पत्र चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को लिखा है। इस पत्र के माध्यम से इन नेताओं ने चीन से म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के लिए मदद मांगी है।
म्यांमार की 18 यनिवर्सिटी के छात्र संगठनों ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को एक पत्र लिखकर म्यांमार के सैन्य शासन को खत्म करने में मदद मांगी है। इन संगठनों ने इस पत्र में लिखा है कि चीन की सरकार को म्यांमार में दोबारा लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करने में मदद करनी चाहिए। इसमें उम्मीद जताई गई है कि चीन इसमें उनका साथ देकर एक अच्छे पड़ोसी की भूमिका अदा करेगा। साथ ही ये भी अपील की गई है कि वो इस सैन्य शासन को किसी भी सूरत से मान्यता न दे, जिसने एक फरवरी को यहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म कर सत्ता अपने हाथों में लेने का काम किया है।
म्यांमार टाइम्स की खबर के मुताबिक इन सभी की मांग है कि म्यांमार में जल्द से जल्द लोकतंत्र को बहाल किया जाए। म्यांमार के छात्र संघों ने अपने लिखे पत्र में कहा है कि शी चिनफिंग को म्यांमार के सैन्य शासक से लोकतंत्र का सम्मान करने और पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की अपील करने को कहा है। गौरतलब है कि 12 फरवरी को चीन और रूस ने यूएनएचसी में म्यांमार की सरकार को बहाल करने और हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की अपील की थी।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस काउंसिल को म्यांमार के खिलापु किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। हालांकि वो वहां पर हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के बाबत दुनिया के अन्य देशों को वहां पर लोकतंत्र बहाल करने के लिए दबाव बनाने को कह सकती है। अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने तीन दिन पहले ही म्यांमार के सैन्य शासक और अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों का एलान किया है।
आपको बता दें कि 1 फरवरी को म्यांमार की तातमदेव (म्यांमार की सेना का आधिकारिक नाम) के प्रमुख कमांडर इन चीफ ऑफ डिफेंस सर्विस मिन ऑन्ग ह्लेनिंग ने आंन्ग सान्ग सू की कि लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर उन्हें और अन्य मंत्रियों समेत उनकी पार्टी के अनेक नेताओं हिरासत में ले लिया था। इसके बाद उन्होंने देश में आपातकाल की घोषणा की और दूसरे ही दिन देश में सत्ता चलाने वाली नई स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन काउंसिल का गठन करने की घोषणा कर दी थी। तख्तापलट के बाद से ही देश के कई हिस्सों में इंटरनेट व्यवस्था को ठप कर दिया गया और सोशल मीडिया पर पूरी तरह से अंकुश लगा दिया गया था। सेना द्वारा तख्तापलट की इस कार्रवाई की अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य देशों ने निंदा की है।