पाकिस्तान और चीन को हो चुका भारत की सैन्य शक्ति का एहसास, नए साल से हैं ये उम्‍मीदें

पाकिस्तान और चीन को हो चुका भारत की सैन्य शक्ति का एहसास, नए साल से हैं ये उम्‍मीदें

नापाक पड़ोसी पाकिस्तान और चालबाज चीन को अब भारत की सैन्य शक्ति का एहसास हो चुका है। दुनिया के दूसरे देश भी मान रहे हैं कि भारत अपनी सैन्य क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है। विगत वर्षो से रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने की सरकार की कोशिश रंग लाने लगी है। यही कारण है कि न तो लद्दाख में चीन की चालबाजी चल पाती है, न ही कश्मीर में पाकिस्तान के नापाक मंसूबे कामयाब होते हैं। सेना के आधुनिकीकरण की अड़चने दूर हो चुकी हैं। नया साल सामरिक ताकत के इजाफे में 21 साबित होगा..

जीरो टॉलरेंस की नीति : भारत आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा को लेकर जीरो-टॉलरेंस की नीति अपना रहा है। चीन और पाकिस्तान की सीमा पर होने वाली हर हरकत पर आधुनिक सेटेलाइटों की नजर है। पल-पल की जानकारी रक्षा सचिव समेत शीर्ष नेतृत्व को दी जाती है। इसका प्रमाण है कि गलवन घाटी में जब चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की तो भारतीय सैनिकों ने उनका माकूल जवाब दिया। पाकिस्तानी सीमा पर होने वाली फायरिंग का भी समुचित जवाब दिया जाता है।

आपात स्थिति के लिए अस्त्र-शस्त्र : 2016 में ही अरुणाचल सीमा पर टैंक व सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की तैनाती को मंजूरी दी गई। सीमा पर सैनिक और युद्धक सामान का जमावड़ा बढ़ा दिया गया है। सीमा तक बुनियादी ढांचे तैयार हैं।

सड़कों ने बेहतर की स्थिति : 2017 में ब्रह्मपुत्र की सहयोगी नदी लोहित पर एक 9.15 किमी रोड ब्रिज बनाया गया। यह सड़क मार्ग से असम को अरुणाचल से जोड़ता है। यह 60 टन वजनी टैंक को सहने में सक्षम है। सेना के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट में काफी सुधार आया है। सीमा पर बिछाए गए सड़कों के जाल ने भारत की स्थिति बेहतर की है।

दिखेगा फैसलों का असर : बीते साल भारत सरकार ने एक के बाद एक फैसले के तहत देश में होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों को उन पड़ोसियों के लिए और सख्त कर दिया जिनकी सीमाएं हमसें मिलती हैं। नए नियम के तहत किसी भी भारतीय कंपनी में हिस्सा लेने से पहले सरकारी अनुमति अनिवार्य है। इस नीति का असर दिखाई देगा

स्वदेशी आपूर्ति पर जोर : सरकार ऐसे हथियार, वस्तुएं, स्पेयर्स नोटिफाइ करेगी जिसमें आयात को बैन किया जाएगा और उनकी स्वदेशी आपूर्ति की जाएगी। पिस्तौल और बंदूक से लेकर टैंक और लड़ाकू जेट तक, आर्टिलरी गन से लेकर मिसाइल तक, सब कुछ भारत में ही बनाया जाएगा। इसके अलावा तेजस विमान को भी अपग्रेड किया जाएगा। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का कारपोरेटाइजेशन होगा। इससे रोजगार में भी वृद्धि होगी।

एनसीसी का होगा विस्तार : बीते स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की 173 सीमाओं और तटीय जिलों में एनसीसी के विस्तार की घोषणा की और कहा कि सरकार सीमावर्ती जिलों से 1 लाख नए एनसीसी कैडेटों को शामिल करेगी। इसमें करीब एक तिहाई बेटियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

एक साथ कई निशाने : हमारे पास सुखोई 30 एमकेआइ हैं जो चीन के सुखोई 27 से ज्यादा उन्नत हैं। ये एक साथ 20 लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं। भारत के पास 380 ऐसे ड्रोन हैं जिनसे वह बम और 500 किलोग्राम से कम वजनी मिसाइल से हमले करवा सकता है।

मेक इन इंडिया से बदलेगी तस्वीर : सरकार की तैयारी रक्षा जरूरतों को मेक इन इंडिया के तहत आत्मनिर्भर बनने के साथ निर्यात बढ़ाने की भी है। इसी को देखते हुए 2024-25 तक रक्षा उत्पादों का निर्यात 35,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य तय किया गया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2016-17 में रक्षा निर्यात 1,500 और 2017-18 में 4,500 करोड़ रुपये का हुआ था।

विदेशी कंपनियों के साथ करार का होगा असर : बीते साल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित 11वें डिफेंस एक्सपो में 70 देशों की रक्षा उपकरण बनाने वाली 172 और भारत की 857 कंपनियां शामिल हुईं। इनमें से 23 कंपनियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ प्रदेश में रक्षा उत्पाद बनाने को लेकर करार किया। मेक इन इंडिया के तहत 13 रक्षा उत्पादों की लांचिंग की गई। इससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होगा।

डिफेंस कॉरीडोर की सौगात : डिफेंस कॉरीडोर रक्षा क्षेत्र से जुड़ी सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। डिफेंस कॉरीडोर एक रूट होता है, जिसमें कई शहर शामिल होते हैं। इन शहरों में सेना के काम आने वाले सामान व उपकरणों के निर्माण के लिए उद्योग विकसित किया जाता है। कई कंपनियां इस परियोजना का हिस्सा बनती हैं। कॉरीडोर के बनने के लिए व इसके संचालन के लिए पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और एमएसएमई हिस्सा लेती हैं। ।

नौ देशों ने दिखाई आकाश की खरीद में रुचि : केंद्र सरकार ने साल 2020 के आखिर में आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात की मंजूरी दे दी। रक्षा मंत्रलय के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया व अफ्रीका के नौ देशों ने इस मिसाइल प्रणाली की खरीद में रुचि दिखाई है। यह सतह से हवा से मार करने वाली मिसाइल है और इसकी मारक क्षमता 25 किलोमीटर है। इसे वायुसेना में वर्ष 2014 व थलसेना में 2015 में शामिल किया गया था। इसके अलावा विभिन्न देशों ने तटीय निगरानी प्रणाली, रडार व वायु उपकरणों की खरीद की भी इच्छा जताई है।

निवेशकों को मिलेगी जमीन : डिफेंस कॉरीडोर में निवेशकों को नए साल में ही भूमि पर कब्जा मिलेगा। यूपीडा के साथ निवेश का करार करने वाली कंपनियों को भूमि पर कब्जा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। खैर के अंडला में प्रस्तावित 45 हेक्टेअर भूमि औद्योगिक विकास विभाग के पास है। औद्योगिक विकास विभाग से यह जमीन यूपीडा को लीज पर दी जाएगी। इसके बाद यूपीडा निवेशकों को भूमि पर कब्जा देने की प्रक्रिया शुरू करेगा। स्थानीय स्तर पर प्रशासन ने भी स्टांप शुल्क जमा कराने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।

होगा कई हथियारों का परीक्षण : 2021 में ऐसे कई हथियार हैं जो परीक्षण के अंतिम दौर में हैं और हो सकता है कि वे सेना में इसी साल शामिल भी हो जाएं। इनमें स्वदेशी एआइपी (एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन), बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस-2, रुस्तम-2 मानवरहित एरियल व्हीकल, जेवीपीसी कार्बाइन शामिल हैं।

एस-400 की आपूर्ति : रूस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली एस-400 की आपूर्ति भारत को वर्ष 2021 के अंत से शुरू कर देगा। भारत ने 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिबंध लगाने की चेतावनी को दरकिनार करते हुए एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच यूनिट पांच अरब डॉलर में खरीदने का करार किया था।